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प्रत्येक वर्ष स्ट्रोक के 18 लाख मामले, भारत में विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक

अत्यधिक प्रभावी लेकिन समय संवेदनशील उपचार जैसे क्लॉट बर्स्टिंग इंजेक्शन (थ्रोम्बोलिसिस) और क्लॉट रिट्रीविंग (थ्रोम्बेक्टोमी) उपचार कई रोगियों के लिए महंगा और सामर्थ्य से बाहर है। हाल ही में भारत सरकार ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज स्कीम आयुष्मान भारत में स्ट्रोक केयर पैकेज जैसे थ्रोम्बोलिसिस, स्ट्रोक यूनिट केयर और थ्रोम्बेक्टोमी को शामिल किया है। डब्ल्यूएसओ और एनएबीएच स्ट्रोक प्रमाणन पूरे देश में स्ट्रोक देखभाल की मानकीकृत सेवा तैयार करेगा।

नई दिल्ली। स्ट्रोक या ब्रेन अटैक भारत में मृत्यु और विकलांगता के प्रमुख कारणों में से एक है। देश में प्रत्येक वर्ष स्ट्रोक के 18 लाख नए मामले सामने आते हैं, हर 40 सेकंड में एक भारतीय को स्ट्रोक और हर 4 मिनट में स्ट्रोक से एक मौत होती है। हालांकि ब्रेन स्ट्रोक की रोकथाम और उपचार दोनों संभव है, लेकिन जागरूकता और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण मृत्यु और विकलांगता के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
अपने व्यक्तिगत अनुभव को याद करते हुए, एक डॉक्टर, मणिपुर से सांसद और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर संसद की स्थायी समिति के सदस्य डॉ. लोरहो फोज़े ने कहा कि उनके पिता की मृत्यु 10 साल तक ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित रहने के बाद हुई थी, और वह पीड़ित परिवार के सदस्यों के दर्द को महसूस कर सकते हैं। फिक्की हाउस में राष्ट्रीय स्ट्रोक शिखर सम्मेलन 2022 में उपस्थित विशेषज्ञों को केंद्र सरकार के साथ इस मुद्दे को उठाने का आश्वासन देते हुए उन्होंने फिक्की को इस शिखर सम्मेलन की सीख पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने और सिफारिशों के साथ सरकार को एक प्रतिनिधित्व करने का सुझाव दिया।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) द्वारा 1 नवंबर, 2022 (मंगलवार) को नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्ट्रोक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय सांसद डॉ. लोरहो फोज़े थे। उन्होंने वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएसओ – WSO) और नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड ऑफ हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (एनएबीएच – NABH) का साझा स्ट्रोक सेंटर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम लॉन्च किया। साथ ही उन्होंने स्ट्रोक जागरूकता वीडियो भी जारी किया।
डब्ल्यूएसओ की प्रेजिडेंट प्रो. शीला मार्टिंस ने कहा कि डब्ल्यूएसओ का मिशन अधिक प्रभावी रोकथाम, बेहतर उपचार और दीर्घकालिक सुविधा उपलब्ध करा स्ट्रोक के वैश्विक बोझ को कम करना है। उन्होंने डब्लूएसओ स्ट्रोक सेंटर प्रमाणन कार्यक्रम के माध्यम से स्ट्रोक देखभाल सेवाओं में सुधार का ब्राजील और अन्य दक्षिण अमेरिकी देशों के अनुभव को साझा किया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में डब्ल्यूएसओ और एनएबीएच संयुक्त प्रमाणन कार्यक्रम के कार्यान्वयन से उच्च गुणवत्ता वाली स्ट्रोक देखभाल को बढ़ावा मिलेगा। प्रो मार्टिंस का लक्ष्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए विश्व स्तर पर इस कार्यक्रम को लागू करना है।
एनएबीएच के सीईओ डॉ. अतुल मोहन कोचर ने कहा कि दिशानिर्देशों और प्रोटोकॉल का पालन न होने पर स्ट्रोक केंद्रों की तेजी से बढ़ती संख्या स्ट्रोक देखभाल की गुणवत्ता में समझौता कर सकती है। एनएबीएच स्ट्रोक सेंटर प्रमाणन के लिए मानक निर्धारित करने के लिए डब्ल्यूएसओ और भारत के विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करेगा।
डब्ल्यूएसओ के चयनित अध्यक्ष (प्रेजिडेंट इलेक्ट) और सीएमसी, लुधियाना में तंत्रिका विज्ञान (न्यूरोलॉजी) के प्रोफेसर एवं प्रिंसिपल प्रो. जयराज डी. पांडियन ने कहा कि आम धारणा के विपरीत, स्ट्रोक के मामले शहरी की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र से ज्यादा सामने आ रहे हैं। देश में स्ट्रोक उपचार की अधिकांश ईकाईयां निजी क्षेत्र के अस्पतालों में हैं। कुछ राज्य ऐसे हैं, जहां सरकारी अस्पतालों में स्ट्रोक उपचार ईकाईयां बनाई गई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के कई गणमान्य अतिथियों और स्ट्रोक विशेषज्ञों ने भारत में स्ट्रोक के उपचार को लागू करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की।
इससे पहले श्री प्रवीण कुमार मित्तल, वरिष्ठ निदेशक, फिक्की ने अतिथि और पैनलिस्टों का स्वागत किया। इस एक दिवसीय शिखर सम्मेलन के दौरान मियामी विश्वविद्यालय में न्यूरोलॉजी और न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉ. दिलीप यावगल, एम्स, नई दिल्ली में चीफ न्यूरोसाइंसेस डॉ. एम. वी. पद्म श्रीवास्तव, गुरुग्राम के अर्टेमिस अस्पताल में न्यूरोइंटरवेंशनल सर्जरी के निदेशक डॉ. विपुल गुप्ता, एनएच बैंगलोर के एचओडी न्यूरोलॉजी डॉ. विक्रम हुडेड, गुरुग्राम के आर्टेमिस अस्पताल में सलाहकार – न्यूरोइंटरवेंशनल सर्जरी डॉ राज श्रीनिवास, आईएनके कोलकाता में स्ट्रोक मेडिसिन के निदेशक एवं वरिष्ठ सलाहकार डॉ जयंत रॉय, फरीदाबाद स्थित ‘अमृता’ के प्रोफेसर और हेड रेडियोलॉजी एवं इंटरवेंशनल न्यूरोरेडियोलॉजी डॉ विवेक गुप्ता, आईएपीजी की संस्थापक एवं सीईओ डॉ. रत्ना देवी और सेंट स्टीफंस अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग में सलाहकार डॉ. आइवी सेबेस्टियन उन प्रमुख विशेषज्ञों में से थे, जिन्होंने स्ट्रोक के त्वरित मूल्यांकन और प्रबंधन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) जैसी तकनीकों के उपयोग पर विचार-विमर्श किया। श्री मित्तल ने धन्यवाद प्रस्ताव के साथ समापन किया।

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