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मीलों पैदल चलती है 17 साल की ललिता, ताकि कोई बच्‍चा अशिक्षित न रहे

संसद से चंद कदमों की दूरी पर हुई इस परिचर्चा में बच्‍चों ने अपनी मांगें भी रखीं। इनमें सबसे अहम थी कि बाल मजदूरी में लगे बच्‍चों के लिए रेस्‍क्‍यू एवं पुनर्वास नीति लाई जाए। रेजीडेंशियल स्‍कूल व रेस्‍क्‍यू किए गए बच्‍चों के लिए बजट में वृद्धि भी हो। इस नीति के प्रभावी कार्यान्‍वयन के लिए देश के सभी 749 जिलों को राष्‍ट्रीय बालश्रम योजना(एनसीएलपी) के अंतर्गत घोषित किया जाए और तकनीक पर आधारित निगरानी प्रणाली सुनिश्चित की जाए।

नई दिल्‍ली। बाल मजदूरी के दलदल से निकलकर सामाजिक बदलाव के जरिए अपनी अलग पहचान बनाने वाले और आज देश-दुनिया में यूथ लीडर की भूमिका निभा रहे युवाओं के एक समूह को शुक्रवार को सम्‍मानित किया गया। ये लोग दिल्‍ली स्थित कॉन्स्टिीट्यूशन क्‍लब ऑफ इंडिया में आयोजित परिचर्चा में भाग लेने आए थे। परिचर्चा का आयोजन नोबेल शांति पुरस्‍कार से सम्‍मानित कैलाश सत्‍यार्थी द्वारा स्‍थापित बचपन बचाओ आंदोलन(बीबीए) और कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फांउडेशन(केएससीएफ) की ओर से किया गया था। परिचर्चा का विषय था कि ‘क्‍या साल 2025 तक भारत बालश्रम को पूरी तरह से खत्‍म कर पाएगा।’ इस मौके पर समाज में बदलाव लाने वाले नौ यूथ लीडर्स को आरपीएफ के डायरेक्‍टर जनरल संजय चंदर ने सम्‍मानित भी किया।

मध्‍य प्रदेश के बिदिशा जिले से आने वाले 18 साल के सुरजीत लोधी अपने गांव के 120 बच्‍चों को कठिन परिस्थितियों से निकालते हुए शिक्षा दिलवाने में मदद कर रहे हैं। साथ ही शराब के खिलाफ भी मुहिम चलाए हुए हैं। साल 2021 में सुरजीत को प्रतिष्ठित डायना अवॉर्ड से सम्‍मानित किया गया था।

सम्‍मानित होने वालों में से तारा बंजारा, अमर लाल व राजेश जाटव हाल ही में द. अफ्रीका की राजधानी डरबन में हुए अंतरराष्‍ट्रीय श्रम संगठन(आईएलओ) के पांचवें अधिवेशन में भारत की युवा आवाज बने थे। 25 साल के अमर लाल सामाजिक कार्यकर्ता और बाल अधिकार वकील के रूप में काम कर रहे हैं। 17 साल की तारा बंजारा स्‍नातक की पढ़ाई कर रही हैं। वह पुलिस फोर्स में जाना चाहती हैं।

भरतपुर जिले के अकबरपुर गांव से आने वाले 21 साल के राजेश जाटव कभी ईंटभट्ठे पर बाल मजदूरी करते थे। आज राजेश दिल्‍ली में एमबीए इन फाइनेंस की पढ़ाई कर रहे हैं। सम्‍मानित होने वाली 17 साल की ललिता धूरिया और 19 साल की पायल जांगिड़ भी राजस्‍थान से हैं। ये दोनों रीबॉक फिट टू फाइट अवॉर्ड से सम्‍मानित की जा चुकी हैं।

सम्‍मानित होने वाले तीन यूथ लीडर्स झारखंड से हैं। इनमें 22 साल के नीरज मुर्मु, 16 साल की चंपा कुमारी और 17 साल की राधा कुमारी हैं। नीरज गिरिडीह जिले के दुरियाकरम गांव से आते हैं। 10 साल की उम्र में नीरज मायका माइन (अभ्रक खदान) में काम करते थे। साल 2011 में बीबीए कार्यकर्ताओं ने उनका रेस्‍क्‍यू किया था। नीरज भी साल 2020 में डायना अवॉर्ड से पा चुके हैं। डायना अवॉर्ड से ही सम्‍मानित होने वाली राज्‍य की चंपा कुमारी भी हैं। 12 साल की उम्र में चंपा मायका माइन में काम करती थीं और उन्‍हें भी बीबीए कार्यकर्ताओं ने रेस्‍क्‍यू किया था। चंपा ने बाल विवाह के खिलाफ भी लंबी लड़ाई लड़ी है।

इन यूथ लीडर्स के प्रयासों की सराहना करते हुए आरपीएफ के डायरेक्‍टर जनरल(डीजी) संजय चंदर ने कहा, ‘इन बच्‍चों व युवाओं में समाज को बदलने की ताकत है और यही लोग समाज की कुरीतियों का अंत कर सकेंगे।’ डीजी ने कहा, इन बच्‍चों को सम्‍मानित करके मुझे बहुत खुशी महसूस हो रही है।‘

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