एक संवेदनशील राजनेता डा नरोत्तम मिश्र

15 अप्रैल नरोत्तम मिश्रा के जन्मदिन पर विशेष

कृष्णमोहन झा

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और लोकप्रिय शिवराज सरकार के सफल गृहमंत्री डा नरोत्तम मिश्र आज अपने यशस्वी जीवन के 63 वर्ष पूर्ण कर रहे हैं और आज‌ इस गौरवशाली मुकाम पर पहुंच कर उनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनके खाते में दर्ज महत्वपूर्ण उपलब्धियों की संख्या इतनी अधिक है कि उन्हें चंद शब्दो के संक्षिप्त लेख में बयान करना मेरे लिए संभव नहीं है। 15 अप्रैल 1960 को ग्वालियर जिले के ख्यातिलब्ध सुप्रतिष्ठित ब्राह्मण परिवार में जन्मे नरोत्तम मिश्र ने बाल्यावस्था में ही अपनी कुशाग्र बुद्धि का परिचय देकर होनहार बिरवान के होते चीकने पात कहावत को चरितार्थ कर दिया था। स्कूलों शिक्षा समाप्त करने के बाद जब उन्होंने महाविद्यालय में प्रवेश लिया तो उनके अंदर मौजूद संगठन क्षमता, नेतृत्व कौशल और संवेदनशीलता के गुणों ने छात्र राजनीति का एक चमकदार चेहरा बना दिया। महाविद्यालयीन शिक्षा उत्तीर्ण करने करने के बाद नरोत्तम मिश्र ने कोई मोटी तनख्वाह वाली राजभोगी नौकरी चुनने के बजाय समाजसेवा की पथरीली राह पर चलने का संकल्प लेकर राजनीति को समाजसेवा का माध्यम बनाने का अडिग फैसला लिया । 1990 के दशक में राजनीतिक दलों की भीड़ में अपने विशिष्ट चाल , चरित्र और और चेहरे से अपनी अलग पहचान बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी को नरोत्तम मिश्र जैसे समर्पित कार्यकर्ताओं की ही तलाश थी इसलिए जल्दी ही वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के विश्वासपात्र बन गए । भाजपा में शामिल होते ही पार्टी ने उन्हें अपने महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपी और वे हर कसौटी पर खरे उतरे। पार्टी को उन्होंने अल्पकाल में ही अपनी विलक्षण कार्यक्षमता, अद्भुत नेतृत्व कौशल समर्पित सेवा भाव और सिद्धांतवादी राजनीति से इतना प्रभावित किया कि पार्टी ने मात्र तीस वर्ष की आयु में विधानसभा उम्मीद वार बनाने का फैसला किया और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। राज्य की हर भाजपा सरकार में नरोत्तम मिश्र को महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी से नवाजा गया और हर विभाग के मंत्री के रूप में वे अपनी अलग पहचान बनने में सफल हुए। राज्य में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की हर सरकार का वे अपरिहार्य हिस्सा रहे हैं और सरकार के हर महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी राय को विशेष अहमियत प्रदान की जाती है। राज्य सरकार के सबसे कद्दावर मंत्री के रूप में उन्हें मुख्यमंत्री का दाहिना हाथ माना जाता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनकी अद्भुत सूझबूझ के कायल हैं क्षही कारण है कि मुख्यमंत्री ने तीन साल अपनी सरकार में जिन पांच मंत्रियों को शामिल किया था उनमें उन्नाव नरोत्तम मिश्र को सर्वाधिक वरीयता प्रदान की थी ।
नरोत्तम मिश्र के बारे में लोगों की अपनी अपनी धारणाएं हो सकती हैं , किसी के लिए वह सख्त मिजाज हैं तो कोई उनका राजनीति के चाणक्य के रूप में मूल्यांकन करता है परन्तु विगत कुछ वर्षों में उनके करीब रहकर मैंने उन्हें जितना परखा और समझा है उसके आधार पर मैंने उनके बारे मैं जो धारणा बनाई है वह बहुत से लोगों से भिन्न हो सकती है । वे एक मंत्री के रूप में केवल उन अधिकारियों के प्रति सख्त हैं जो आमजन की तकलीफों को दूर करने के लिए बनाई गई सरकारी योजनाओं को क्रियान्वित करने में लापरवाही बरतने है , समाज विरोधी तत्वों के लिए वे जितने सख्त हैं उसके लिए तो वे भूरि‌ भूरि प्रशंसा के हकदार हैं। जहां आवश्यकता होती है वे विरोधियों पर तीखै कटाक्ष करने से भी नहीं चूकते उनकी यह कला हमें उनकी राजनीतिक चतुराई से परिचित कराती है। मेरा मानना है इसके लिए उन्हें निशाना बनाना उचित नहीं होगा। नरोत्तम मिश्र के व्यक्तित्व और कृतित्व का एक राजनीतिक विश्लेषक के रूप में मैंने जो मूल्यांकन किया है उसमें वे सबसे पहले एक संवेदनशील राजनेता के रूप में हमारे सामने आते हैं जो सर्वहारा वर्ग और आम जनता की तकलीफों को देखकर द्रवित हो उठता है । भला कोई यह कैसे भूल सकता है कि कोरोना काल में अस्पताल में भर्ती मरीजों का हालचाल जानने के लिए वे स्वयं अस्पताल पहुंच गए थे इसी तरह विकराल बाढ में फंसे लोगों को हेलिकॉप्टर से बचाने के प्रयास में तो उन्होंने स्वयं की जान जोखिम में डालकर अपने विरोधियों को भी दांतों तले अंगुली दबाने के लिए विवश कर दिया था। नरोत्तम मिश्र के कर्मठ जीवन में ऐसे प्रसंग जब तब आते रहे हैं परंतु ऐसे प्रसंगों पर उन्होंने कभी किंचित मात्र अभिमान का विषय नहीं बनने दिया। उनके कर्मठ व्यक्तित्व एवं कृतित्व की इन खूबियां के कारण ही वे राजनीतिज्ञों की भीड़ में वे अलग दिखाई देते हैं। उनके यशस्वी जीवन के 64वें जन्म दिवस पर मैं उन्हें हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।