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Astro News, 19 को है स्नान दान की कार्तिक पूर्णिमा, जानें शुभ संयोग, शुभ मुहूर्त और भी खास बातें

इस बार महापुण्यदायक पद्ममक योग के साथ गजकेसरी योग में मनाई जाएगी कार्तिक पूर्णिमा। कार्तिक पूर्णिमा का उत्सव पांच दिनों तक चलता है। यह कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा के दिन खत्म होता है। इस दिन महादेव जी ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था, इसलिए इसे “त्रिपुरी पूर्णिमा“ के नाम से भी जाना जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार इस दिन संध्या समय भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था।

नई दिल्ली। इस बार की पूर्णिमा के दिन कृतिका नक्षत्र एवं परिध योग का संयोग होने से इस दिन पूर्णिमा का अत्यन्त शुभ महत्व रहेगा। साथ ही इस शुभ दिन पर सर्वार्थ सिद्धि नामक योग और वर्धमान योग भी लग रहा है। चंद्र-बृहस्पति का गजकेसरी योग का विशेष महत्व दान-पुण्य करने में रहेगा। इसी दिन चंद्र का प्रातः काल 8.15 पर मेष राशि से वृष राशि मे उच्च का होकर आना अत्यंत सौभाग्यवर्धक योग रहेगा। पूर्णिमा पर उच्च राशि के चंद्र का होना भी अपने आप में बेहद शुभ योग माना गया है।

क्या है पूर्णिमा काल

कार्तिक मास की पूर्णिमा को परम पवित्र तिथि माना गया है। इस दिन सूर्य के विशाखा नक्षत्र के रहते कार्तिक पूर्णिमा तिथि 18 नवंबर 2021 गुरुवार दिन के 11ः20 से अगले दिन 19 नवंबर 2021 शुक्रवार दोपहर 1ः09 पूर्णिमा रहेगा। वही कृतिका नक्षत्र रात्रि 1 : 22 से 19 को रात्रि 4 बजे तक रहने से “पद्ममक नामक“ योग रहेगा।

जानें शुभ मुहूर्त

इस दिन स्नान एवं दान का शुभ मुहूर्त प्रातः काल 4.48 बजे से 10.45 बजे तक है। और मध्याह्न काल 12.05 बजे से अपराह्न 1.24 बजे तक है। 18 को है व्रत की पूर्णिमा। 19 को है स्नान दान की कार्तिक पूर्णिमा।

चंद्रमा दर्शन और अर्घ

जिनके जन्मकुंडली में चंद्रमा अस्त हो। पापिग्रहो कि साथ हो, ग्रहण दोष, पितृ दोष या श्रापित दोष हो। आज चाँद का पूजन और अर्घ देने से बहुत राहत मिलता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र दर्शन करने के साथ ही अर्घ्य देखर उनकी आराधना का भी विधान है। पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के बाद चंद्र दर्शन कर चंद्रमा की शीतलता लेने से मन को शीतलता प्रदान होती है और शरीर रोग मुक्त होता है। खास कर जिन्हें मानसिक तनाव हो आज अर्घ दे और 32 मिनट चंद्रमा के प्रकाश में रहें।

कार्तिक पूर्णिमा और गंगा स्नान का विशेष महत्व

पूर्णिमा के अवसर पर गंगा स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है मान्यता है। इस दिन सभी देवी- देवता पृथ्वी पर आकर गंगा स्नान करते हैं। इसलिए गंगा स्नान को कार्तिक पूर्णिमा के दिन पुण्यप्रद बताया गया है।यदि गंगा स्नान सम्भव नही हो तो किसी पात्र में गंगाजल लेकर उससे स्नान भी गंगा स्नान का फल मिलता है।

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