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कृषि कानून वापस के लिए कैबिनेट ने लगाई मुहर, किसान नेता राकेश टिकैत अभी भी मांग पर अड़े

किसान मसले पर अभी भी गतिरोध जारी है। केंद्र सरकार की ओर से भले ही कैबिनेट ने अपनी मुहर लगाई हो लेकिन किसान नेताओं की मांग और आपस में मतभेद है। उम्मीद है कि संसद के शीतकालीन सत्र में ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

नई दिल्ली। जिन कृषि कानूनों को लेकर बीते साल भर से अधिक समय से देश के किसान आंदोलन कर रहे थे, उसको खत्म करने के लिए केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है। अब संसद में इस प्रसंग का अध्यादेश लाया जाएगा। दूसरी ओर, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत लगातार अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित अन्य मांगों को भी नहीं मानती है, किसान आंदोलन खत्म नहीं करेंगे।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार संवैधानिक तरीका अपनाएगी और 29 नवंबर से शूरू हो रहे संसद के सत्र में इन्हें वापस लिए जाने के लिए बिल पेश किया जाएगा।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने भी 29 नवंबर को 60 ट्रैक्टर लेकर संसद की ओर कूच करने का ऐलान किया है। हम न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर यह ट्रैक्टर मार्च करेंगे और सरकार पर दबाव डालेंगे कि वह हमे एमएसपी की गारंटी दें। इसके साथ ही राकेश टिकैत ने स्पष्ट किया है कि ये ट्रैक्टर उन्ही रूट से आगे जाएंगे जिन रूट को सरकार ने खोला है। राकेश टिकैत ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान हमपर इल्जाम लगा था कि हमने रास्ते बंद कर रखें हैं। लेकिन हमने कभी रास्ते बंद किए ही नहीं। हमारे आंदोलन केंद्र सरकार से बात करने के लिए था।
किसान आंदोलन के समर्थकों के बीच भी इसे जारी रखने या बंद करने को लेकर मतभेद पैदा हो गए हैं। चौबीस खाप और गठवाला खाप के नेताओं का कहना है कि अब इस आंदोलन को समाप्त करते हुए किसानों को घर वापसी कर लेनी चाहिए।

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