सेक्स से पहले आधार कार्ड की जांच नहीं कर सकते’: नाबालिग से रेप के आरोप पर हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि यह हनी ट्रैपिंग का मामला लग रहा है और प्राथमिकी दर्ज करने में ‘’अत्यधिक देरी’’ के लिए कोई संतोषजनक कारण नहीं बताया गया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने कथित नाबालिग साथी के “बलात्कार” के आरोपी व्यक्ति को जमानत देते हुए कहा है, कि सहमति से शारीरिक संबंध बनाने वाले व्यक्ति को अपने साथी की जन्मतिथि की न्यायिक जांच करने की आवश्यकता नहीं है। बता दें कि उक्त मामले में आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार नाबालिग के जन्म की “तीन अलग-अलग तारीखें” हैं।“

अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति को उसके साथ सहमति से शारीरिक संबंध बनाने से पहले आधार कार्ड या पैन कार्ड देखने या अपने साथी की जन्मतिथि को उसके स्कूल के रिकॉर्ड से मिलान करने की आवश्यकता नहीं है। साथ ही अदालत ने आरोपी को राहत दी है जिसने दावा किया था कि अभियोजक अपनी सुविधा के अनुसार उसकी जन्मतिथि केवल उसके खिलाफ बाल शोषण कानून के प्रावधानों को लागू करने के लिए बदलकर इस्तेमाल कर रहा है।

जस्टिस जसमीत सिंह ने 24 अगस्त के आदेश में कहा कि “वह व्यक्ति, जो किसी अन्य व्यक्ति के साथ सहमति से शारीरिक संबंध बनाता है, उसे न्यायिक रूप से दूसरे व्यक्ति की जन्म तिथि की जांच करने की आवश्यकता नहीं है। शारीरिक संबंध बनाने से पहले उसे आधार कार्ड, पैन कार्ड देखने और उसके स्कूल के रिकॉर्ड से जन्म तिथि मिलान करने की आवश्यकता नहीं है।“

उन्होंने आगे कहा कि “जहां तक जन्म तिथि की बात है, ऐसा लगता है कि अभियोक्ता की तीन अलग-अलग जन्म तिथियां हैं। वहीं, आधार कार्ड के अनुसार उसकी जन्म तिथि 01.01.1998 है और इसलिए, कथित घटना की तारीख पर, अभियोक्ता को युवा माना जाता है।“