Home राष्ट्रीय केंद्र सरकार ने दिया किसानों को तोहफा,FRP बढ़ाकर 290 रुपए प्रति क्विंटल

केंद्र सरकार ने दिया किसानों को तोहफा,FRP बढ़ाकर 290 रुपए प्रति क्विंटल

PMGKAY योजना के तहत गरीबों को प्रति व्यक्ति, प्रतिमाह 5 किलो निःशुल्क राशन का वितरण जारी है। इसके चौथे चरण के अंतर्गत, अकेले उत्तर प्रदेश में अगस्त माह में, 14 करोड़ से अधिक नागरिक इसका लाभ उठा चुके हैं। फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस (FRP) को बढ़ाकर, ₹290/- प्रति क्विंटल करने का निर्णय लिया गया है, ये 10% रिकवरी पर आधारित होगा।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से देश के किसानों को लेकर कई अहम निर्णय लिए गए हैं। खासकर गन्ना किसानों को लेकर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गन्ने का एफआरपी बढ़ाकर 290 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। इस फैसले का फायदा 5 करोड़ से ज्यादा गन्ना किसानों और उनके आश्रितों को मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने केंद्र सरकार के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि अगर किसी किसान की रिकवरी 9.5% से कम होती है तो उन्हें 275.50 रुपये प्रति क्विंटल मिलेंगे। 2020-21 में गन्ना किसानों को 91,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना था जिसमें 86,000 करोड़ का भुगतान हो गया है। ये दिखाता है कि केंद्र सरकार की योजनाओं के कारण अब गन्ना किसानों को पहले की तरह सालों-साल अपने भुगतान के लिए संघर्ष नहीं करना पड़ता है।न्होंने बताया कि पिछले साल फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस में 10 रु प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की गई थी। रिकवरी के मायने हैं कि गन्ने से कितनी चीनी निकल पाती है।

उन्होंने यह भी कहा कि आज कैबिनेट बैठक में गन्ने पर दिए जाने वाले फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस(FRP) को बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला हुआ है, ये 10% रिकवरी पर आधारित होगा। आज के इस फैसले के बाद किसानों को उनके खर्च पर 87% का रिटर्न होगा। एफआरपी के माध्यम से हम सुनिश्चित करते हैं कि हमारे गन्ना किसानों को बाकी सब फसलों से ज़्यादा दाम मिले।


एफआरपी वह न्यूनतम दाम होते है, जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना होता है। कमीशन ऑफ एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज (सीएसीपी) हर साल एफआरपी की सिफारिश करता है। वहीं, राजनीतिक गलियारों में इस निर्णय के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसान नेताओं ने आंदोलन जारी रखे हुए हैं। ऐसे में किसानों के हित का यह निर्णय आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में जा सकती है।

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