Home बिजनेस कोरोना के कारण हांफ रहा है कोचिंग संस्थान

कोरोना के कारण हांफ रहा है कोचिंग संस्थान

दिल्ली के अलावा चंडीगढ, लखनऊ, इलाहाबाद, पटना और जयपुर भी पढ़ाने जाते थे। कोचिंग संस्थानों से उन्हें हर महीने करीब दो लाख रुपये की आमदनी होती थी। लॉकडाउन के बाद कोचिंग संस्थान बंद चल रहे हैं और मनीष गौतम बेरोजगार हो गए हैं। कोचिंग संस्थानों के मैटेरियल का संपादन करने वाले चंदन कुमार भी आजकल परेशान चल रहे हैं, क्योंकि कोचिंग की ओर से न कोई काम मिल रहा है और न ही उनका दाम। रूपेश शर्मा को तो दिल्ली के मुखर्जी नगर में आईएएस की तैयारी करानेवाले एक संस्थान ने लीव विदाउट पे कर दिया है। उनसे कहा गया है कि जब बच्चे आएंगे, तो कोचिंग खुलेगा। उस समय ही आप आएंगे। फिलहाल घर पर रहें।

असल में, ये यह हाल केवल मनीष , चन्दन कुमार अथवा रूपेश शर्मा का नहीं है। ये चंद नाम नहीं, बल्कि एक समुदाय बन चुके हैं, जो जो या तो फुल टाइम या फिर पार्ट टाइम इस पेशे से जुड़े हुए हैं। कोचिंग संस्थानों के संचालक और उनके जरिए रोजगार पाए लोग भी इस समय बेकारी का दंश झेल रहे हैं और आगे भी स्थिति कुछ बेहतर होने की उन्हें उम्मीद नहीं दिख रही है।

यूं तो कोरोना की मार हर क्षेत्र में पडी है। करीब साल भर होने को हैं। कुछ क्षेत्रों की सेहत सुधर रही है, लेकिन कई ऐसे क्षेत्र हैं, जो आज भी हांफ रहे हैं। उन्हीें क्षेत्रों में से एक है कोचिंग। देश की राजधानी दिल्ली सहित पटना,रांची, कोटा जैसे कोचिंग संस्थानों के हब माने जोने वाले शहरों की अर्थव्यवस्था अब तक पटरी पर नहीं आ पाई है।

कोरोना को लेकर जब देश लाॅकडाउन की चपेट में आया, उस समय ही मेडिकल-इंजीनियरिंग की कोचिंग के लिए मक्का कहे जाने वाले कोटा की हालत बेहद खराब हो गई थी। अप्रैल में ही कहा गया था कि 3300 करोड़ की कोचिंग इंडस्ट्री अधर में है। कोरोना महामारी ने 4500 करोड़ का आंकड़ा छूने की इस इंडस्ट्री की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। कोटा में हर साल 1.65 लाख से अधिक स्टूडेंट कोचिंग के लिए आते हैं। पिछले कुछ सालों से इस संख्या में 10 फीसदी का सालाना इजाफा हो रहा है। इंडस्ट्री से एक्सपर्ट्स के अनुसार कोटा आने वाला स्टूडेंट औसतन 2 लाख रुपए खर्च करता है। इस लिहाज से इस साल लगभगर 3300 करोड़ का रेवेन्यू जनरेट होना था। जबकि 10 फीसदी ग्रोथ रेट के अनुसार अगले 4 साल में कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री में लगभग 4500 करोड़ का सालाना रेवेन्यू जनरेट होता। यह स्थिति अब तक सामान्य नहीं हो पाई है।

कानपुर में भी कोरोना महमारी के चलते हालात बेहद खराब हैं। यहां की कोचिंग मंडी कही जाने वाला इलाका काकादेव भी इससे अछूता नहीं रहा है। बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इसके जरिये रोजगार मिला था।काकादेव कोचिंग मंडी में हर साल लगभग 30 से 40 हज़ार स्टूडेंट्स तैयारी करने आते थे। जिसकी वजह से यहां पर कोचिंग संचालकों के अलावा टिफिन सर्विस, पीजी और रेंट रूम सर्विस, और न जाने कितने लोगों को रोजगार मिला हुआ था, लेकिन कोरोना के कारण कोचिंग बन्द हैं और यही कारण है कि पूरी काकादेव कोचिंग मंडी में वीरानी छाई है।
इन छोटे-छोटे स्कूलों और कोचिंग सेंटर में पढऩे वाले शिक्षार्थियों और शिक्षकों की आर्थिक स्थिति कमोबेश एक सी होती है। ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को अपनाने के लिए मोबाइल, लैपटॉप जैसे कीमती गैजेट की व्यवस्था दोनों के लिए मुश्किल है।

 

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