कोरोना कहर- सुशासन की सरकार में अंतिम सफर की किमत सोलह हजार

बिहार में कोरोना का कहर आम से लेकर खास तक पर टूट पङा है और जनता त्राहिमाम की स्थिति में है। राजधानी पटना में शवदाहगृह के सामने लाशों की कतार लगी है और अंतिम यात्रा के लिये लोगों को जेबें भी ढिली करनी पङ रही हैं।

बिहार में बढ रहा है मौतों का आँकङा
कोरोना के बढते लहर के बीच पहले से ही बिमार राज्य बिहार की स्थिति और ज्यादा बिमार वाली होती जा रही है। बिहार में रोज कोरोना मरीजों की संख्या में बढोत्तरी हो रही है तो वहीं इस बिमारी से मरने वालों की संख्या में भी जबरदस्त इजाफा हो रहा है। सरकारी आंकङों की बात करें तो अव हरेक दिन 6 हजार से ज्यादा केसेज सामने आ रहें हैं तो वहीं पिछले सात दिनों में कोरोना से मरनेवालों की संख्या 165 हो चुकी है । बिहार में पिछले 24 घंटे में जहां 7870 मरीज मिले हैं तो वहीं पटना में 1898 मरीज मिले और 27 लोगों ने दम तोङ दिया है।

लाशों की लगी है लंबी कतार
राजधानी पटना के शवदाहगृह की स्थिति भी लगातार खराब होती जा रही है। दरअसल में राजधानी में कुल पांच शवदाहगृह हैं जिसमें से बांस घाट में लोग जाकर शवों का अंतिम संस्कार करते हैं । लेकिन लाशों के बढते बोझ ने बांस घाट को भी बोझिल बना दिया है और भट्ठियां पिघलने लगी हैं जिसकी वजह से सरकार ने कोरोना से मरनेवाले लोगों के लिये गुलबी घाट को चिन्हित तो किया है लेकिन लोग 8 घंटे के इंतजार के बाद ही परिजन का दाह-संस्कार कर पा रहे हैं।

अंतिम संस्कार के लिये देने पर रहे हैं 16 हजार
दरअसल में बिहार में शवदाहगृह में लाशों को जलाने के लिये नगर निगम ने 300 रुपये की राशी निर्धारित कर रखी है लेकिन लोगों से अभी 16 हजार रुपये इन शवदाहगृहों द्वारा वसूले जा रहे हैं। यानी जिंदगी की जंग हार चुके लोग जब अपने अंतिम सफर पर निकल तो रहे हैं लेकिन वहां भी सिस्टम उनसे उगाही करने से बाज नहीं आ रहा और शवदाहगृह में कफन में लिपटी काया सिर्फ एक ही सवाल पूछ रही है कि क्या यही सुशासन की सरकार है।