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सीआरआईएफ की वित्त वर्ष 2022 की हाऊ इंडिया लेंड्स रिपोर्ट, मार्च 21 के मुकाबले ऋण बाजार में 11% की वृद्धि

वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 22 के बीच माइक्रोफाइनैंस ऋणों में मूल्य के आधार पर 22% की वृद्धि परिमाण के आधार पर उत्पत्ति में 13% की वृद्धि देखी गई। इस क्षेत्र में बैंकों और एनबीएफसी एमएफआई का वर्चस्व रहा। वाणिज्यिक ऋणों में वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 22 तक मूल्य के आधार पर 73% की वृद्धि देखी गई और निजी बैंकों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का दबदबा रहा।

नई दिल्ली। भारतीय क्रेडिट ब्यूरो सीआरआईएफ हाई मार्क ने आज अपनी हाउ इंडिया लेंड्स रिपोर्ट का द्वितीय संस्करण जारी किया। वित्त वर्ष 2022 की रिपोर्ट पिछले पाँच वर्षों (वित्त वर्ष 18 से वित्त वर्ष 22 तक) में खुदरा, माइक्रोफाइनेंस और वाणिज्यिक उधार बाजारों में उद्योग और उपभोक्ता प्रवृत्तियों की महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि पर प्रकाश डालती है। इसके अलावा यह रिपोर्ट ऋण परिदृश्य पर कोविड-19 के प्रभाव के बारे में भी बताती है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च ’22 तक भारत का कुल ऋण बाजार 174.3 लाख करोड़ रुपये का था, जो मार्च 21 की तुलना में 11.1% की वृद्धि दर्शाता है। मार्च ’22 तक, वाणिज्यिक, खुदरा और माइक्रोफाइनेंस की कुल ऋण पोर्टफोलियो में क्रमशः 49.5%, 48.9% और 1.6% की हिस्सेदारी रही। रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 21में कोविड महामारी और और वित्त वर्ष 22 की पहली तिमाही में घातक दूसरी लहर के कारण अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करने के बाद, भारत में वित्त वर्ष 22 की शेष अवधि में ऋण परिदृश्य में तेज सुधार देखा गया।
पर्सनल लोन में मूल्य के आधार पर 46% की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 22 तक परिमाण (वॉल्यूम) के आधार पर 122% की वृद्धि देखी गई। इस क्षेत्र में पीएसबी, निजी बैंकों और एनबीएफसी का वर्चस्व रहा। क्रेडिट कार्डों में वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 22 तक नए कार्ड की उत्पत्ति में 48% की वृद्धि देखी गई और निजी बैंकों के नए कार्ड की उत्पत्ति की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 21 के 61.2% से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में 71.44% हो गई।
दोपहिया वाहन के लिए ऋणों में मूल्य के आधार पर 9.2% की वृद्धि दर्ज की गई और वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 22 तक परिमाण के आधार इसमें 2% की वृद्धि देखी गई। इस क्षेत्र में वॉल्यूम और वैल्यू दोनों के मामले में एनबीएफसी और निजी बैंकों का वर्चस्व रहा। मूल्य उत्पति के आधार पर ऑटो लोन में 23% की तेजी आई, जबकि वित्त वर्ष 21 से 22 के बीच वॉल्यूम ग्रोथ में 8.5 फीसदी का इजाफा हुआ। इस सेक्टर में भी निजी बैंक, पीएसबी और एनएसबी का वर्चस्व रहा।
होम लोन में मूल्य के आधार पर 29% की वृद्धि और वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 22 के बीच वॉल्यूम में 20% की वृद्धि देखी गई। इस क्षेत्र में पीएसबी और एचएफसी का वर्चस्व रहा। व्यवसाय ऋणों में वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 22 के बीच मूल्य के आधार पर उत्पत्ति में 10% की वृद्धि देखी गई और इस क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, निजी बैंकों और एनबीएफसी का वर्चस्व रहा। उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं के लिए ऋणों में मूल्य के आधार पर 66% की वृद्धि और वित्त वर्ष 21 से वित्त वर्ष 22 के बीच परिमाण के आधार पर उत्पत्ति में 43% की वृद्धि देखी गई। इस क्षेत्र में एनबीएफसी का वर्चस्व रहा।

सीआरआईएफ हाई मार्क के प्रबंध निदेशक, संजीत डावर ने कहा कि, “हमारी ‘हाउ इंडिया लेंड्स’ रिपोर्ट का दूसरा संस्करण इंडियन क्रेडिट इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टि के बारे में बताता है, और इसका उद्देश्य ऋणदाताओं को सशक्त बनाना है। कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण उत्पन्न अभूतपूर्व चुनौतियों के बावजूद भारत के ऋण क्षेत्र में मजबूत विकास की गति बनी रही। भारत में ऋण बाजार 174.3 लाख करोड़ रुपये का था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11.1% अधिक था। नतीजतन, वित्त वर्ष 22 में रिटेल, माइक्रोफाइनेंस और वाणिज्यिक ऋणों के क्षेत्र में नए ऋणों में जबरदस्त वृद्धि देखी गई। ऋण परिदृश्य में यह रिकवरी आर्थिक सुधार का संकेत देता है, जो बेहद उत्साहवर्द्धक है।”’

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