नई दिल्ली। मीडिया के गलियारे में आजकल वीमेन्स प्रेस क्लब के चुनावों की चर्चा जोरों पर है। कोविड के कारण बीते दो साल से वीमेन्स प्रेस क्लब के चुनाव नहीं हो रहे थे, हालांकि सर्वसम्मति से ऑफिस बियरर और मेंमबर्स कमेटी के चयन पर समय समय पर विवाद होता रहा है, लेकिन इस बार के चुनाव में लंबे समय से सत्तासीन गुट तमाम प्रश्नों के घेरे में है। इंडियन वीमेन्स प्रेस कॉर्प का चुनाव इस बार इसलिए भी दिलचस्प है क्योंकि 28 साल के इतिहास में पहली बार थर्ड पैनल चुनाव मैदान में है, अब तक दो गुटों की सत्ता ही चुनाव में उतरती है, नया पैनल अनुभवी पत्रकारों और युवा पत्रकारों की सोच की उपज है।
पूर्व में आईडब्लूपीसी का संचालन करने वाले गुट ने लंबे समय तक शासन भी और कुछ सुधार भी नही हुआ, बावजूद इसके आईडब्लूपीसी की साख पर धब्बा और लग गया, इसी क्रम में सबसे पहला विवाद वीमेन्स प्रेस क्लब के सदस्यों द्वारा पाकिस्तानी एंबेसी को सरकार को बिना सूचना दिए फेयरवेल पार्टी आयोजित करने का रहा। सूत्रों की मानें तो पाकिस्तान एंबेसी के अधिकारियों को वीमेन्स प्रेस क्लब में बुलाना के मामले ने इतना तूल पकड़ा की आईबी को परिसर में आकर पूछताछ करनी पड़ी और मामला राष्ट्रपति तक पहुँच गया। आईडब्लूपीसी की लीज भी खतरे में पड़ गई। कोविड से उपजे आर्थिक हालात का असर क्लब के संचालन पर भी पड़ा, बावजूद इसके पांच लाख रुपए जमा कर प्रेस क्लब की मियाद बढ़ाई गई। मामला यहीं खत्म नहीं हो जाता, कुछ ही दिन पर क्लब के प्रेसिडेंड द्वारा कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को बुलाया गया, जहां प्रश्नों के जवाब देने के लिए खुद प्रेस की अध्यक्षा महोदया ने महबूबा का बचाव किया। भीम आर्मी के प्रमुख को बुलाने भी लंबे समय तक चर्चा में रहा।
इन सभी घटनाओं का असर सरकार में बैठे आला मंत्रियों पर इस कदर असर पड़ा कि अब सत्तापक्ष के नेता आईडब्लूपीसी के किसी भी आमंत्रण को सिरे से खारिज कर देते हैं। इसी बीच सेंट्रल विस्टा प्रोजेस्ट को लेकर प्रेस क्लब की जगह बदलने का मामला भी गर्म है, इस सभी मुद्दों को लेकर क्लब के सदस्य वर्तमान सत्ता को बदलना चाहते हैं। सूत्रों की मानें तो क्लब के दो प्रमुख सूत्रधार पैनल एक ही रणनीति पर काम करते हैं, इसलिए अब महिलाएं पूरी तरह से बदलाव चाहती हैं, वरिष्ठ सदस्यों की अगर मानें तो क्लब की राजनीति में लोकतांत्रिक व्यवस्था का पालन नहीं किया जाता, चुनाव जीत कर मेंबर्स कमेटी में पहुंचे सदस्यों भी अपनी बात नहीं कह पाते, यहीं वजह है कि अब लंबे अनुभवों वाली महिला पत्रकारों ने क्लब के चुनावों से किनारा कर लिया है। बहरहाल 16 अप्रैल को वोटिंग है और अभी कई पत्ते खुलने बाकी है। फिलहाल थर्ड फ्रंट पूनम डबास और विजयलक्ष्मी के पैनल के नेतृत्व में मैदान मे है।