कोरोना वैक्सीन को लेकर नहीं रखें कोई झिझक, हर परिस्थिति से निबटने में सक्षम है व्यवस्था

नई दिल्ली। करीब एक सप्ताह होने का है। कोरोना टीकाकरण अभियान में जो तेजी पहले दिन दिखी थी, वैसी स्थिति अब नहीं देखी जा रही है। मन में कुछ शंकाओं को लेकर वैक्सीन के प्रति झिझक है। इसलिए टीकाकरण स्थल तक स्वास्थ्यकर्मी भी नहीं जा रहे हैं। हालंकि, विशेषज्ञ हर झिझक को त्यागने की बात करते हैं। दोनों वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और कारगर है। किसी भी साइड इफेक्ट, यदि वह अधिक भी होता है, तो उससे निबटने के लिए केंद्र सरकार की दिशा-निर्देश पर हर जिला तक एईएफआई (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना) निगरानी टीम गठित कर ली गई है।

बता दें कि इस एईएफआई निगरानी टीम में मेडिसीन, कार्डियोलाॅजी और न्यूरोलाॅजी के डाॅक्टर को रखा गया है। इसके साथ ही हर ब्लाॅक और जिले में एंबुलेंस की व्यवस्था भी है। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से जो आंकडे दिए गए हैं, उसमें साइड इफेक्ट का आंकडा नहीं के बराबर है। यह महज 0-18 प्रतिशत है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, 21जनवरी की सुबह 7 बजे तक 8 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन लगाया गया। कोविड 19 वैक्सीन के एक्सपर्ट और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के आॅपरेशनल गु््रप के हेड डाॅक्टर एनके अरोडा कहते हैं कि जिस दिन भारत में कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई, उसी दिन मैंने स्वयं कोरोना वैक्सीन लिया है। मुझे तो तनिक भी अंतर नहीं लगा। पता भी नहीं चला कि सूई चुभी। हां, कुछ लोगों में संभव है कि इसका साइड इफेक्ट हो। लेकिन मैं कहना चाहता हंू कि इससे डराने की जरूरत नहीं है। कई वैक्सीन में यह बेहद जरूरी होता है। वैक्सीन सही काम कर रहा है या नहीं, इसका लक्षण भी हमें साइड इफेक्ट से ही मिलते है। जैसे, बीसीजी का टीका बच्चों को दिया जाता है, तो उन्हें हल्का बुखार होता है। कुछ टीके में दर्द कुछ घंटों तक रहता है।

डाॅ एनके अरोडा ने कहा कि ऐसे लक्षणों से हमें पता चलता है कि आपका शरीर वैक्सीन को स्वीकार कर रहा है। जहां तक बात कोरोना वैक्सीन की है, अब तक 8 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन लग चुका है। साइड इफेक्ट की बात करें, तो इसकी संख्या हजार में भी नहीं है। उन्होंने काह कि सामान्य और हल्के लक्षण से घबराने की जरूरत नहीं है। इसके लिए सरकार ने वैक्सीन लगने के बाद आधे घंटे तक स्वास्थ्यकर्मी की निगरानी में रहने को कहा है। हां, यदि किसी को कुछ अधिक होता है, तो उसके लिए डाॅक्टर्स होंगे, तो किसी भी परिस्थिति से निपटने में सक्षम होंगे। भारत में मौजूदा वैक्सीन सुरक्षा निगरानी तंत्र है, जिसे एईएफआई (टीकाकरण के बाद प्रतिकूल घटना) निगरानी कहा जाता है। इसमें सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत एक राष्ट्रीय सचिवालय शामिल है, जिसमें डॉक्टर, डेटा विशेषज्ञ और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हैं। यह निगरानी नेटवर्क हर जिले तक फैला हुआ है, जहां डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों का एक पैनल टीकाकरण, जांच राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर रिपोर्ट के बाद एईएफआई की निगरानी करता है।

राजनीतिक कारणों से वैक्सीनेशन के खिलाफ दुष्प्रचार

स्वयं केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डाॅ हर्षवर्धन ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि देश में कुछ लोग जानबूझकर केवल राजनीतिक कारणों से वैक्सीनेशन के खिलाफ दुष्प्रचार करते हैं। इससे समाज के एक छोटे वर्ग में वैक्सीन को लेकर झिझक पैदा हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार चाहती है कि जिन लोगों के मन में दुष्प्रचार के कारण गलतफहमी हुई है, उनको भी वैक्सीन नहीं लेने के कारण कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हमारे देश में कल यानी 20 जनवरी तक करीब 8 लाख लोगों को टीका लग गया, उनमें गिनती के लोगों को साइड इफेक्ट हुए हैं, जो साधारण तौर पर सामान्य वैक्सीन में होते हैं।
बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाॅ हर्षवर्धन कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर एक कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे। इसमें कोरोना वैक्सीन को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए मंत्रालय की ओर से पोस्टर जारी किया गया है। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्विनी कुमार चैबे, स्वास्थ्य सचिव श्री राजेश भूषण सहित कई वरिष्ठ डाॅक्टर उपस्थित रहे।