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विदेश मंत्री जयशंकर ने सदन को बताया, कैसे यूक्रेन से बाहर निकाला भारतीय छात्रों को

ऑपरेशन गंगा के तहत 90 उड़ानें संचालित की गई हैं, जिनमें से 76 नागरिक उड़ानें और 14 IAF उड़ानें थीं। निकासी उड़ानें रोमानिया, पोलैंड, हंगरी और स्लोवाकिया से भारत पहुंचीं.

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि युद्धग्रस्त यूक्रेन के सूमी शहर से भारतीय छात्रों की निकासी बगैर किसी ‘‘विश्वसनीय युद्धविराम’’ के संभव नहीं थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इसके लिए रूस और यूक्रेन के राष्ट्रपतियों से बात कर रास्ता निकाला। राज्यसभा में यूक्रेन की स्थिति और उसका भारत पर प्रभाव पर एक बयान देते हुए जयशंकर ने यह भी कहा युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारतीयों को सुरक्षित निकाले जाने के लिए चलाया गया ‘‘ऑपरेशन गंगा’’ अब तक चलाए गए चुनौतीपूर्ण निकासी अभियानों में से एक था। उन्होंने कहा, ‘‘सूमी में ‘क्रेडिबल सीजफायर’ की जरूरत थी। प्रधानमंत्री ने खुद हस्तक्षेप करते हुए दोनों देशों के राष्ट्रपतियों से बात की।’’

ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री ने युद्धग्रस्त देश में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से दो से तीन मौकों पर बातचीत की थी। सूमी में फंसे लोगों की निकासी के लिए दोनों देशों की ओर से ‘‘सुरक्षित गलियारा’’ बनाया गया था। आधे से ज्यादा छात्र पूर्वी यूक्रेन के विश्वविद्यालयों में थे जो क्षेत्र रूस की सीमा से लगा है और अब तक संघर्ष का केंद्र रहा है। 35 राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के छात्रों को निकाला गया है।

जयशंकर ने कहा कि ‘‘गंभीर चुनौतियों’’ के बावजूद भारत अपने 22,500 नागरिकों को सुरक्षित लाने में सफल रहा।उन्होंने बताया कि दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ने के बाद भारत ने यूक्रेन में रह रहे भारतीयों के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया आरंभ की थी, 15 फरवरी को पहला परामर्श जारी किया तथा इसके बाद दो और परामर्श जारी किए गए।

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