Home पॉलिटिक्स Geust Column : लोक कल्याण के पथ पर योगी आदित्यनाथ

Geust Column : लोक कल्याण के पथ पर योगी आदित्यनाथ

महान विचारक एमर्सन ने लिखा है कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि मनुष्य की संकल्प शक्ति के सामने देव हो या दानव सभी पराजित होते रहे है। यह कथन प्रदेश के खुख्यात अपराधियों के खिलाफ सच साबित हुआ है चाहे वह विकास दुबे हो या मुख्तार अंसारी। जब कोई राजा राज धर्म निभाता हैं तो वह सिर्फ समाज का कल्याण करता हैं पर जब एक योगी राज धर्म निभाता हैं तो वह धर्म की रक्षा के साथ- साथ एक ऐसे समाज की रचना करता है जिसमे चौमुखी विकास होता हैं क्यूंकि धर्म ही भय पर विजय सुनिश्चित करती है।

रीना. एन. सिंह

जो सफर की शुरुआत करते हैं, वे मंजिल भी पा लेते हैं, बस एक बार चलने का हौसला रखना जरुरी है, शायद यही सोचकर वर्ष 1992 में 22 वर्ष के अजय सिंह बिष्ट ने सांसारिक जीवन को त्याग कर सन्यास आश्रम में प्रवेश किया और वह अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ हो गए, सन्यास जीवन ग्रहण करने के बाद योगी ने घर और परिवार त्यागकर देश सेवा और समाज सेवा करने का संकल्प लिया। मार्च 2017 में जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उनके नाम की घोषणा की गयी तो हर कोई हैरान था जबकि 2022 के उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में देश भर का हर सच्चा हिन्दू योगी आदित्यनाथ को ही दुबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना चाहता था और उन सबकी प्रार्थना सफल भी हुई।

योगी आदित्यनाथ ने दुबारा मुख्यमंत्री बनकर यह स्पष्ट कर दिया की लोक कल्याण के पथ पर वह सच्ची निष्ठा एवं कर्त्तव्यपरायणता की भावना के साथ अपना कार्य कर रहे हैं। विधान सभा चुनाव से पहले भी योगी आदित्यनाथ के नाम को लेकर अटकले चली थी कि शायद अरविन्द शर्मा या किसी दलित को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठया जायेगा, योगी आदित्यनाथ को केवल समाजवादी पार्टी से ही नहीं बल्कि अपनी ही पार्टी भाजपा में भी छदम दुश्मनो से बहुत चुनौतियां मिली जिसे शपथ ग्रहण समारोह के समय भी देखा जा सकता था यह अलग बात है की योगी आदित्यनाथ ने अपनी मेहनत एवं कर्त्तव्य निष्ठा के बल पर अपने देश की जनता का दिल जीता जिस कारण वह दुबारा मुख्यमंत्री बने। इस वर्ष के चुनाव में इनको कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद थी लेकिन योगी जी और इनकी पार्टी ने मिल कर विपक्ष के अरमानों पर पानी फेर दिया। उत्तर प्रदेश विधान सभा के इस चुनावो से विभिन आंकड़े उभरकर आये जैसे की भाजपा सरकार के पिछले चुनाव के मुकाबले 52 सीटे कम आयी।

अगर हम चुनाव की बात करे तो क्षत्रिय जाति से केवल 47 विधायक चुने गए जबकि 2017 में क्षत्रिय विधायकों का आंकड़ा 62 था, उत्तर प्रदेश में राजपूत लगभग 12% है जिसमे से केवल पांच क्षत्रिय नेता ही मंत्री बनाये गए हैं, वहीं अगर हम मुस्लिम समाज की बात करे तो 35 मुस्लिम विधायक 2022 की विधान सभा का हिस्सा बने है और ये सभी मुस्लिम विधायक समाजवादी पार्टी की मदद से विधान सभा में पहुंचे हैं। योगी आदित्यनाथ की जीत जितनी आसान दिख रही है उतनी ही कठिन भी हैं। मुस्लमानो या महिला मुस्लमान का कोई भी वोट योगी को नहीं मिला है यह जीत राजपूत, दलित हिन्दू और गरीब मध्यम वर्ग हिन्दुओ की बदौलत है। मुस्लमानो ने समाजवादी पार्टी को अपने तरीके से चलाया है वरना ओबेसी को नोटा से भी कम वोट न मिलते।
समाजवादी पार्टी ने 115 सीटें जीती जिसमे से 35 सीट मुस्लिम वर्ग द्वारा लेना बता रहा है की उनकी जनसँख्या गैर सरकारी आंकड़ों में 35% पार कर चुकी है। इतिहास गवाह है की जब एक वर्ग की जनसँख्या अलपसंख्यक से बहुसंख्यक हो जाती है तो उस जगह से हिन्दू का पलायन कुछ समय पश्चात निश्चित हो जाता है या फिर वह जगह दंगो का शिकार होती है। वर्ष 1991 में सरयू का तट राम भक्तों की लाशों से भर गया था, इस हत्याकांड के बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को इस्तीफा देना पड़ा, मुलायम सिंह यादव सत्ता के लोभ में इतने वशीभूत थे की स्वयं हिन्दू होते हुए भी राम मंदिर समर्थको पर गोलियां चलाने में कोई संकोच नहीं हुआ, यह सत्ता का लोभ ही था जिसने बरसो तक राम जन्म भूमि को विवादित रखा। राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न केवल अयोध्या के विकास कार्यो को चरण बद्ध तरीके से प्रारम्भ किया बल्कि काशी विश्वनाथ को भी सुसज्जित कर अंतरराष्ट्रीय पटल पर एक खास पहचान बनाई, जहां धार्मिक दृष्टि से श्रद्धालुओं का आना होगा वही दूसरी और रोजगार के अवसर भी प्रशस्त किये है। गौतमबुद्ध नगर में फिल्म सिटी, देवबंद में एनएसजी कमांडो प्रशिक्षण केंद्र, पलायित मजदूरों को रोजगार, प्रशासन चलाने में तकनीक का उपयोग योगी जी की बेजोड़ क्षमता को प्रकट करते है।

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने 34 लाख गांवो तक पेय जल पहुंचाया है, तथा अभ्युदय योजना के अंतर्गत 18 लाख प्रतियोगी छात्रों को कोचिंग दी है। रोजगार उपलब्ध कराने के लिए तथा स्वदेशी के भाव को मुखर करते हुए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के माध्यम से कुटीर एवं गृह उद्योग को बढ़ावा दिया तथा ई-टेंडरिंग से भ्रष्टाचार पर प्रहार किया। कोरोना में कठोर प्रशासनिक क्षमता द्वारा महामारी पर नियंत्रण पाया। ऐसी परस्थितयो में जब कोसो दूर दूसरे राज्य से पैदल चला आ रहा मजदूर उत्तर प्रदेश की सीमा की तरफ इस उम्मीद के साथ चला आ रहा था की यहाँ पहुंच कर मेरा जीवन सुरक्षित होगा, किसी भी राजनेता या जनप्रतिनिधि के लिए इससे बड़ा जन विश्वास शायद कुछ नही हो सकता। यह योगी जी की संकलप शक्ति का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को सफलता और उन्नति के सूत्र में पिरोया है। योगी का जनसेवा के लिए संकल्प उस दुर्ग के समान है जो भयंकर प्रलोभन तथा विपरीत परिस्थितियों में रक्षा कर सफलता तक पहुंचने में मदद कर रहा है।

(रीना. एन. सिंह, अधिवक्ता, उच्चतम न्यायालय)

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