Guest Column : सुरक्षित मातृत्व- आत्मनिर्भर भारत की कुंजी

हम राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 और सतत विकास लक्ष्यों के तहत निर्धारित लक्ष्यों की उपलब्धियों की ओर अग्रसर हैं, हम उच्च लक्ष्य और एक नए भारत की परिकल्पना करने के लिए प्रतिबद्ध हैं जो पूरी तरह उत्तरदायी हो और हमारी महिलाओं और बच्चों की जरूरतों के प्रति जवाबदेह हो।


डॉ. भारती प्रवीन पंवार

राज्य मंत्री

केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार

स्वस्थ महिलाओं का समाज एक स्वस्थ गतिशील और प्रगतिशील राष्ट्र की नींव रखता है। देश का सतत निरंतर विकास तभी प्राप्त किया जा सकता है, जब हम महिला एवं बच्चों की समग्र देखभाल करें। देश में मातृ और शिशु मृत्यु दर में तेजी से गिरावट का श्रेय 2014 से हमारी सरकार के प्रयासों, राजनीतिक प्रतिबद्धता, अच्छी तरह से तैयार की गई नीतियों और हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में महत्वपूर्ण निवेश को दिया जा सकता है। गुणवत्तापरक मातृत्व स्वास्थ्य सुरक्षा हमारी सरकार की शुरू से ही प्राथमिकता रही है। मुझे याद है कि वर्ष 2018 में हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने पार्टनर्स फोरम में यह कहते हुए प्रमुखता से इस बात को रखा था कि हमारी माताओं का स्वास्थ्य बच्चों का स्वास्थ्य निर्धारित करेगा और बच्चों का स्वास्थ हमारे कल के स्वास्थ्य को निर्धारित करेगा।

इस संदर्भ में स्कंद पुराण में भी मां की महिमा वर्णन करते हुए कहा गया है-

नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः।

नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा ।।

अर्थात माता के समान कोई छाया नहीं, कोई आश्रय नहीं, कोई सुरक्षा नहीं, माता के समान इस जीवन में कोई जीवनदाता नहीं है।

इस संदर्भ में हाल ही में 22 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में संपन्न हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-5) के पहले चरण के जारी किए गए निष्कर्षों से उल्लेखनीय उपलब्धियों की पुष्टि की गई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण पांच के अनुसार, लगभग सभी 22 राज्यों व संघ शासित राज्यों में संस्थागत प्रसव में वृद्धि हुई है, जबकि अधिकांश राज्यों में प्रसव पूर्व और प्रसव के बाद की देखभाल में सुधार हुआ है। यह वास्तव में बहुत गर्व की बात है कि क्योंकि मातृ स्वास्थ्य को प्राथमिकता में शामिल करने और लक्ष्य केन्द्रित करने से ही यह परिणाम प्राप्त हुए हैं।

सरकार ने जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) के माध्यम से अधिक से अधिक महिलाओं को अस्पतालों में प्रसव कराने के दौरान मदद से लेकर जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) के तहत मुफ्त सेवाएं, गुणवत्तापूर्ण देखभाल और सम्मानजनक मातृत्व प्रदान करने तक का एक लंबा सफर तय किया है। गर्भावस्था और प्रसव के दौरान देखभाल। इसी संदभ में 2019 में सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) को शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं के लिए उचित मातृत्व सुरक्षित वातावरण का निर्माण करना है। यह निशुल्क गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को सम्मानजनक तरीके से जरूतरमंद तक पहुंचाने का आश्वासन देता है, सुरक्षित मातृत्व एवं शिशु रक्षा के लिए सरकारी व्यवस्थाओं को इस स्तर पर दुरूस्त किया गया कि जिससे किसी भी महिला को जरूरत के समय बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हो सके और मातृत्तव एवं शिशु मृत्युदर और रोगों को कम किया जा सके। इस व्यवस्था के साथ कई अन्य सुविधाओं को भी जोड़ा गया, जैसे कि लेबर रूम या प्रसव कक्ष सुविधा को बेहतर करने के लिए वर्ष 2017 में लेबर रूम क्वालिटी इंम्प्रूव इंनिसिएटिव (लक्ष्य) लांच किया गया, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में भी सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता परक प्रसव की सुविधाओं को शुरू किया गया।

हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में नए विचारों को न सिर्फ सुना गया, बल्कि उसे विभिन्न कार्यों के माध्यम से क्रियान्वित भी किया गया, फिर चाहे वह नए आइडिया मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य रक्षा से ही संबंधित क्यों न रहे हों। इस संदर्भ में वर्ष 2016 में अति महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) की शुरुआत की गई, इसके तहत गर्भवती महिलाओं को गर्भ के दूसरी और तीसरी तिमाही (छठें और नौवें महीने में) में प्रसूति पूर्व देखाभाल सेवाओं के सुरक्षित इलाज का आश्वासन दिया जाता है। इसके अतिरिक्त माननीय केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के व्यापक दृष्टिकोण और बेहतर मार्गदर्शन से मातृ मृत्यु दर और सर्विलांस रेस्पांस साफ्टवेयर (एमपीसीडीआरएस) को हाल ही में लांच किया गया, जिसकी सहायता से मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर को खत्म करने के लिए कार्रवाई व संबंधित डाटा को सुव्यवस्थित रखने की व्यवस्था की गई।

बाद में यह मॉडल देश में बर्थ मॉडल को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण हो गया। जो कि बच्चे के जन्मे के लिए महिला की स्वीकारिता और प्रसव के विकल्पों को अपनाने में महिलाओं की मर्जी को प्रमुखता देता है। कुल मिलाकार नया मॉडल समग्र रूप से महिलाओं के लिए बच्चे को जन्म देने के सकारात्मक अनुभवों में योगदान देता है। वर्ष 2018 में नई सीमाओं का विस्तार करते हुए भारत सरकार ने महिलाओं को एक सकारात्मक और सुखद प्रसव अनुभव प्रदान करने के लिए मिडवाइफरी (एनपीएम) में नर्स प्रैक्टिशनर के एक समर्पित कैडर (मिडवाइफरी सेवाओं) को शुरू करने का नीतिगत निर्णय लिया गया। निश्चित रूप से कहा जा सकता है इन सभी सकारात्मक उपायों से महिलाओं की देखभाल संबंधी सुविधाओं में लोगों का नजरिया बदला और महिलाओं के लिए सम्मान जनक प्रसव संभव हो पाया।

इसके अलावा परिवार नियोजन के लिए व्यापक रणनीति और उचित गर्भपात देखभाल, एनीमिया स्क्रीनिंग परीक्षण को अपनाकर एनीमिया मुक्त भारत पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

सरकार ने आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्र वेलनेस सेंटर्स (एबी-एचडब्ल्यूसी) स्थापित करके सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, ताकि गर्भावस्था और प्रसव में उचित देखभाल मिल सके। इसके साथ ही प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) सहित सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला तैयार की गई, जिससे स्वास्थ्य देखभाल में होने वाले खर्च को कम किया जा सके।

वर्तमान में देश कोरोना की वजह से होने वाले प्रभावों को कम करने में गहनता से जुटा हुआ है, बावजूद इसके कोविड महामारी के दौर में भी लोगों को बिना किसी बाधा के चिकित्सीय सहायता उपलब्ध हो, इसके लिए टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा वितरण की सुविधा के लिए देश को सक्षम बनाया गया। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2020 में इस सकारात्मक पहल की शुरुआत की, राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा ई संजीवनी देश की पहली सबसे लोकप्रिय और सबसे बड़ी टेलीमेडिसिन सेवा बनकर उभरी है।

महामारी के इस चुनौतीपूर्ण समय में नीतियां लागू करने के लिए लचीला होना, निरंतर प्रयास और प्रगति के कार्यों में तेजी लाना महत्वपूर्ण है। मैं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और कम्युनिटी से अपील करना चाहती हूं कि सभी गर्भवती महिलाओं को उनके स्वास्थ्य के लिए निर्णय लेने तथा स्वास्थ्य देखभाल के सक्षम बनने में उनका समर्थन करें।