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पोषण ट्रैकर और मंत्रा एप से महिला एवं बाल स्वास्थ्य में हो रहा है सुधार

सैंपल रजिस्टे्रशन सिस्टम रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011 में पांच साल की उम्र से कम प्रति एक हजार पर 55 शिशुओं की मौत हुई जबकि वर्ष 2020 में यह आंकड़ा घटकर प्रति एक हजार 32 हो गया। इसी रिपोर्ट में शिशु मृत्यु दर में भी सुधार देखा गया। जोकि वर्ष 2011 में 44 थी 2020 में यह दर 28 तक पहुंच गई। नवजात शिशु मृत्यु दर में बीते दस साल में सकारात्मक बदलाव देखा गया।

On 7 November 2022 in Aurangabad, Lucknow, India, UNICEF Goodwill Ambassador Priyanka Chopra Jonas interacts with primary class children at Composite School Children aged 11-14 years are now attending schools but were earlier out-of-school and engaged in income earning activities. 75 children in each school are being re-introduced to 60 different basic technologies (IBT): Home & Health, Energy & Environment, Engineering, Agriculture & Gardening, in an innovative learning model.

निशि भाट

तीन साल बाद भारत पहुंची प्रियंका चोपड़ा जोनस इस बार देश की धरती पर एक अहम उद्देश्य से आईं। महिला एवं बाल स्वास्थ्य सुविधाओं की जमीनी हकीकत देखने प्रियंका ने केन्द्र व उत्तर प्रदेश सरकार और यूनिसेफ द्वारा संचालित विभिन्न महिला एवं बाल स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कार्यक्रमों की मुआयना किया। देश में सबसे अधिक 230 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में प्रियंका चोपड़ा का यह दौरा कई मायनों में अहम माना जा रहा है।
दो दिवसीय यात्रा में यूनिसेफ की ग्लोबल गुडविल एंबेसडर सिने अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा केन्द्र और प्रदेश सरकरार द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से आंगनबाड़ी केन्द्रों, चिकित्सालय और पोषण पुर्नवास केन्द्र पर गईं। उन्होंने लाभार्थियों से बात की, समस्याओं को सुना और अधिकारियों से बात कर स्थिति को और अधिक बेहतर करने के लिए विचार विमर्श किया। सबसे अहम यह है कि प्रदेश में तकनीकि प्रयोगों की सहायता से महिला एवं बाल स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ, जिससे कुपोषण और समय पूर्व प्रसव की चुनौतियों को कम किया गया। विशेषज्ञों की मानें तो महिला सुरक्षा और बाल स्वास्थ्य जैसे गंभीर और जरूरी विषयों पर प्रियंका के दखल से न सिर्फ सुविधाओं में अधिक सुधार होगा बल्कि कार्यक्रमों के संचालन को भी गति मिलेगी।
यूपी के मोहनलाल गंज क्षेत्र के लालपुर में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्र पर ग्राम प्रधान नीरज ने प्रियंका चोपड़ा को बताया कि गर्भ के किस महीने में किस तरह का भोजन गर्भवती को करना चाहिए, यहां इस बात की जानकारी दी जाती है। पहले महिलाओं में भ्रम था कि यदि गर्भ के समय वह अधिक खाएंगी तो बच्चा पेट में ही बड़ा हो जाएगा और प्रसव में मुश्किल होगी। प्रियंका चोपड़ा को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने बताया कि गर्भवती को दिन में चार बार पांच तरह का अनाज खाना चाहिए इसमें एक चार्ट के माध्यम से महिलाओं को आहार तस्तरी के जरिए पोषण की जानकारी दी जाती है।
भारत सरकार केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा वर्ष 2020 में शुरू किए गए पोषण ट्रैकर की सहायता से महिला एवं शिशुओं के पोषण की जानकारी इकठ्ठा की जाती है। सही पोषण देश रोशन उद्देश्य को पूरा करने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां बच्चों के नियमित वजन, लंबाई और उनके विकास आदि की जानकारी की मॉनिटरिंग करती है। गर्भवती महिलओं को राशन किट भी दी जाती है। पोषण ट्रैकर महिलाओं को बच्चों के आहार से जुड़ी सही जानकारी देने में सहायता करता है। जिसकी सहायता से एसएएम (सिवियर एक्यूटर मॉलन्यूट्रिशन) और एमएएम (मॉडिरेट एक्यूट मॉलन्यूट्रिशन) की पहचान की जाती है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वेक्षण पांच के अनुसार देश में पांच साल की उम्र से कम 22.7 करोड़ एसएएम और एमएएम की श्रेणी में हैं। जिसमें से नौ करोड़ बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित या एमएएम पाए गए हैं। लंबे समय तक दाईयों द्वारा प्रसव के चलन पर उस समय सुधार हुआ जब केन्द्र सरकार ने संस्थागत प्रसव या अस्पताल में प्रसव कराने पर प्रोत्साहन राशि देना शुरू किया, जिससे नवजात शिशु मृत्यु दर में तेजी से सुधार हुआ। मंत्रा (मां-नवजात ट्रैकिंग एप)के माध्यम से गर्भवती महिला, नवजात शिशु और स्तनपान करानी वाली महिलाओं की रिल टाइम मॉनिटरिंग संभव हुई। मंत्रा के जरिए प्रसव से पहले और लेबर रूम तक पहुंचने और बाद में महिला एवं पोषण जरूरतों पर ध्यान दिया गया। इस मोबइल एप के माध्यम से यूपी में बीते नौ महीने में तक 1.4 करोड़ तक पहुंचा जा चुका है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के कुल प्रसव का 85 प्रतिशत से भी अधिक है।
पढ़ेगीं बेटियां तब ही तो बढ़ेगीं बेटियां
बेसिक विद्यालय औरंगाबाद के बच्चों ने तकनीकि का प्रयोग कर ऐसे छोटे लेकिन अहम प्रयोग कर डाले जिसकी प्रियंका चोपड़ा ने काफी तारीफ की। यूनिसेफ के सहयोग से यहां संचालित स्किल कार्यक्रम और आईबीटी (इंट्रोडक्शन टू बेसिक टेक्नोलॉजी) के जरिए स्कूल के अध्यापकों की मदद से कक्षा पांच की छात्रा ममता ने नेत्रहीनों के लिए विशेष जूते बना दिए, जूते में लगे सेंसर नेत्र हीन व्यक्ति के किसी भी चीज से टकराने से सायरन की आवाज करेंगे, इसके अलावा सोलर कार और सोलर कूकर जैसे प्रयोग भी बच्चों द्वारा किए गए। स्कूल शिक्षा को कौशल विकास से जोड़ने का मुख्य उद्देश्य है कि ड्राप आउट या बीच में ही पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या को कम किया जा सके, इसके साथ ही लड़कियों की शिक्षा इसलिए जरूरी है कि जिससे कम उम्र में विवाह को रोककर एक बेहतर समाज का निर्माण किया जा सके। प्रियंका ने बच्चों के नवाचारों को काफी सराहा और कहा कि तकनीकि का प्रयोग गांव में समाज को आगे बढ़ने के लिए किया जा रहा है यह एक तरक्की पसंद देश की पहचान है। स्वास्थय विशेषज्ञ डॉ. चन्द्रकांत लहरिया कहते हैं कि सामाजिक मुद्दों पर प्रियंका चोपड़ा जैसी सेलिब्रिटी के दखल से प्रशासनिक अमला कार्यक्रमों का संचालन अधिक गंभीरता से करेगा, जिसे प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा सुधार के लिए बेहतर कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

बैंक प्रतिनिधि सखी से लें गांव में कहीं भी नकदी
बैंकिंग सेवा की पहुंच दूर दराज के गांवों में भी जरूरी है और यदि इस जरूरी सेवा के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर बना दिया जाएं तो बात और भी बेहतर हो जाती है। उत्तर प्रदेश के जूनियर हाईस्कूल उत्तराधौना चिनहट में महिला स्वावलंबन की मिसाल कायम करते हुए महिलाओं ने मानवीय एटीएम की पहल की है। यहां कैश या नकदी के लिए परेशान लोगों को इस एटीएम मशीन पर केवल आधार पर पंजीकृत फिंगर प्रिंट स्कैन कराने होते हैं और वह महिलाओं से अपने खाते से नकदी ले सकते हैं। प्रियंका चोपड़ा ने प्रदेश सरकार और यूनिसेफ के सहयोग से संचालित को मानवीय एटीएम सेवा सखी को संचालित करने वाली महिलाओं से बात की, केन्द्र सरकार के जनधन योजना को विस्तारित रूप देने वाली सखी मूविंग एटीएम महिलाओं के पास हर महीने दो हजार से अधिक बार तीस से 40 हजार रूपए का लेनदेन होता है। मूविंग एटीमए का संचालन पूरी तक तकनीक पर आधारित है, जिसमें दो लोगों (पैसा लेने और देने वाला) से अलावा किसी का हस्तक्षेप नहीं होगा।

(लेखिका स्वतंत्र स्वास्थ्य पत्रकार हैं)

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