भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई विदेश मंत्रियों के बीच विशेष बैठक 16 जून को भारत और सिंगापुर के सह-अध्यक्षों के साथ शुरू हुई। इस बैठक के अपने उद्घाटन भाषण में, एस जयशंकर ने कहा कि एक बेहतर कनेक्टेड भारत और आसियान विकेंद्रीकृत वैश्वीकरण और लचीला और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने के लिए अच्छी तरह से तैनात होंगे। उन्होंने कहा, “भारत एक मजबूत, एकीकृत, समृद्ध आसियान का पूरी तरह से समर्थन करता है, जिसकी हिंद-प्रशांत में केंद्रीयता को पूरी तरह से मान्यता प्राप्त है।”
एक सुखद मुलाकात
भारत के मेजबान होने के साथ इसको अहमियत देते हुए गुरूवार की सुबह सभी देशों के विदेश मंत्रियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात की और भारत-आसियान संवाद संबंधों को प्रगाढ़ता देने पर बातचीत भी की। बाद में ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए पीएम ने इस बैठक को अच्छा बताया। बता दें कि इस दौरान बैठक में भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी मौजूद रहे।
रूस और अन्य देशों पर हुई चर्चा
सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालकृष्णन ने कहा कि रूस की कार्रवाइयों ने “नियमों और मानदंडों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को प्रभावित किया है।” जिसमें यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच एक बढ़ी हुई प्रतिद्वंद्विता के बीच संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया गया, जिससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता को खतरा है।
भविष्य की योजनाओं पर विचार
जयशंकर ने आसियान सदस्य देशों के साथ भूमि और समुद्री संपर्क को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी बल दिया। भारत-म्यांमार-थाईलैंड राजमार्ग का उन्नयन आसियान-भारत कनेक्टिविटी पहल का हिस्सा है। बता दें कि भारत और आसियान क्षेत्र के बीच व्यापार 2021 में 78 अरब डॉलर से अधिक का था। दो दिवसीय बैठक में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, म्यांमार और वियतनाम सहित 10 सदस्यों के क्षेत्रीय ब्लॉक के साथ भारत के संवाद संबंधों की इस बार 30वीं वर्षगांठ है।