नई दिल्ली। भारतीय सेना (Indian Army) की ताकत में आज वृद्धि हो गई है। आवश्यकता पड़ने पर उसे पुल बनाने में समय लगता था, लेकिन अब डीआरडीओ की नई तकनीक सफल होने के बाद अब बहुत जल्द पुल बनकर तैयार हो जाएगा। भारतीय सेनाध्यक्ष की उपस्थिति में DRDO और L&T द्वारा तैयार किए ’12 शॉर्ट स्पैन ब्रिजिंग सिस्टम’ को सेना में शामिल किया गया।
इस अवसर पर सेनाध्यक्ष एनएम नरवणे ने अपने संबोधन में कहा कि आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की तरफ़ यह सफल कदम है। इसको बनाने वाले मैं सभी लोगों की सरहाना करता हूं। इसके सेना में शामिल होने से सेना की ताक़त बढ़ेगी।
#WATCH Army Chief General MM Naravane speaks during the induction of Short Span Bridging system into the Indian Army. He says "…This bridging system will boost the ability of our mechanised formation, mostly on western front, and operation speed will also increase." pic.twitter.com/Vyu9BMLjgP
— ANI (@ANI) July 2, 2021
भारतीय सेना (Indian Army) के इंजीनियर-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि हमारे पास पहले फिक्स्ड स्पैन के ब्रिजेस होते थे और जो 10-30 मीटर के इंटरमीडिएट गैप होते थे उसको हम ब्रिज नहीं कर पाते थे। इसलिए ये पूरा ब्रिज सिस्टम बनाया गया और अब हम 5-75 मीटर तक के नहरे को ब्रिज कर सकते हैं।
बता दें कि इससे दुर्गम इलाकों में सेना की पहुंच बेहद आसान हो जाएगी। भारतीय सीमा सड़क संगठन की कार्यक्षमता बढेगी। इसमें और अधिक तकनीक के शामिल होने की बात भी की जा रही है। भले ही आम जनता डीआरडीओ के नाम से अधिक वाकिफ नहीं रही हो, लेकिन कोरोना के दौर में जिस प्रकार से इस संस्था ने दिन-रात काम किया, उससे आम जनता को इस संगठन पर अधिक भरोसा हुआ है। सेना के हितों की रक्षा और विकास के लिए डीआरडीओ लगातार काम करती रही है।
डीआरडीओ (DRDO) चीफ ने कहा कि हमने ये सिस्टम विकसित किया था। बेंगलुरु के पास कोलार में इसका ट्रायल चल रहा है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किया है। इनपुट के बारे में सशस्त्र बलों से अभी चर्चा चल रही है। कई प्राइवेट कंपनियों को भी टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किया जा रहा है।