नई दिल्ली। जिनके नाम से देश का नाम रोशन होता है, जब वे लोग चले जाते हैं, तो पूरा देश उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देता है। ऐसे ही सितारे रहे हैं डिको सिंह, जिनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी श्रद्धांजलि दी। देश की युवा पीढ़ी खासकर जो लोग मुक्केबाजी में हैं, उनके लिए प्रेरक व्यक्ति रहे हैं डिको सिंह।
यह सच है कि मुक्केबाज डिंको सिंह ने कभी ओलंपिक पदक नहीं जीता, बावजूद उसके उन्हें भारतीय मुक्केबाजी का सुपरनोवा कहा जाता है। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने भारतीय मुक्केबाजी में अमिट छाप छोड़ी जो भावी पीढ़ी को भी प्रेरित करती रहेगी। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि बैकाक एशियाई खेल 1998 में स्वर्ण पदक जीतना था। कहा जाता है कि इस पदक के बाद कई युवाओं ने उन्हें अपना आदर्श माना और भारतीय मुक्केबाजी में उसके बाद कई उदयमान मुक्केबाज आए। भारत के कई खाते में कई पदक आए।
प्राप्त जानकारी के अनसुार, डिंको सिंह केवल 42 साल के थे, लेकिन चार साल तक यकृत के कैंसर से वे जूझ रहे थे। आखिरकार गुरुवार को उन्होंने इम्फाल स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली है। जैसे ही यह दुखद खबर सार्वजनिक हुई, लोगों ने उन्हें अंतिम विदाई दी। अधिकतर लोगों ने कहा कि डिको सिंह के जाने से भारतीय मुक्केबाजी में एक बड़ा शून्य पैदा हो गया। बता दें कि डिंको सिंह से मैरीकोम बेहद प्रभावित रही हैं। आखिर, एम सी मैरीकोम को मुक्केबाजी में अपना सपना पूरा करने के लिए घर के पास ही प्रेरणादायी नायक मिल गया था। मैरीकोम के अलावा उत्तर पूर्व के कई मुक्केबाजों, जैसे – एम सुरंजय सिंह, एल देवेंद्रो सिंह और एल सरिता देवी के खेल पर डिंको सिंह का बेहद प्रभाव रहा।
बता दें कि डिंको का जन्म इम्फाल के सेकता गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना भी बेहद मुश्किल रहा था। उनके परिवार की दयनीय हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके परिवार ने स्थानीय अनाथालय में छोड़ दिया। इसके पीछे इनके माता-पिता की यह मंशा रही कि कम के कम यहां खाना तो इसे मिल जाएगा। डिंको सिंह का यहां लालन-पालन होता रहा। इसी क्रम में यहीं पर भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा शुरू किये गये विशेष क्षेत्र खेल कार्यक्रम (सैग) के लोगों की नजर डिंको पर पड़ी थी। उसके बाद ये मुक्केबाजी के खेल में कभी पीछे मुडकर नहीं देखे।
मुक्केबाज डिंको सिंह ने निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक संवेदना प्रकट की और ट्विटर पर अपने उदगार व्यक्त किए।
Shri Dingko Singh was a sporting superstar, an outstanding boxer who earned several laurels and also contributed to furthering the popularity of boxing. Saddened by his passing away. Condolences to his family and admirers. Om Shanti.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 10, 2021
खेल पत्रकारों का कहना है कि भारतीय मुक्केबाजी में डिंको की पहली झलक 1989 में अंबाला में राष्ट्रीय सब जूनियर में देखने को मिली थी जब वह 10 साल की उम्र में राष्ट्रीय चैंपियन बने थे। यहां से शुरू हुई उनकी यात्रा चलती रही और वह बैंथमवेट वर्ग में विश्वस्तरीय मुक्केबाज बन गये । उनके साथ के मुक्केबाजों का कहना है कि उनके बायें हाथ का मुक्का, आक्रामकता, वह बेहद प्रेरणादायी थी।