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Lockdown : फिर 21 दिन के लिए तैयार रहना होगा देश को, सेना संभाल सकती है मोर्चा

तीसरी लहर की आशंका से सरकार बेचैन है। कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में सबसे अधिक टारगेट पर बच्चे हैं। इसलिए सरकार कोई कोताही नहीं बरतने वाली है। लॉकडाउन के दौरान स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की बजाए सेना के कंधों पर डाली जा सकती है।

नई दिल्ली। कोरोना (COvid19) की दूसरी लहर चल रही है। तीसरी की आंशका है। ऐसे में चर्चा जोरों पर है कि विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार 21 दिनों की पाबंदी लगा सकती हैं। इसके लिए तमाम मंत्रालयों से रायशुमारी ली जा रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पहले ही सेना की मांग कर चुके हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) अपनी सहमति जता चुके हैं।

ऐसे में क्या यह संभावना पूरी है कि देश कोरोना के कारण फिर से संपूण बंदी यानी लाॅकडाउन में जाने वाला है। राज्य सरकारों द्वारा संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जा रहे एहतियाती कदम से काम नहीं चलने की स्थिति में केंद्र सरकार कोई कड़ा फैसला ले सकती है। हालांकि, पूरे देश में संपूर्ण लॉकडाउन को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। हालांकि, रविवार की देर रात सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के एक फैसले में केंद्र सरकार को यह सलाह जरूर दी गई है कि सरकार कुछ दिनों के लिए संपूर्ण लॉकडाउन लगाना चाहिए। अगर सुप्रीम कोर्ट, कोरोना टॉस्क फोर्स, वैज्ञानिक और डॉक्टर, इन सबके द्वारा कही गई बातों के अनुसार, कोरोना की चेन तोड़ने के लिए केंद्र सरकार के पास संपूर्ण लॉकडाउन लगाना ही एकमात्र उपाय बचता है।

इस बार पुलिस के बजाय सेना (Army) और अद्धसैनिक बलों के जिम्मे इसके पालन की जिम्मेदारी है। सूत्रों का कहना है कि तीसरी लहर की आशंका से सरकार बेचैन है। कहा जा रहा है कि तीसरी लहर में सबसे अधिक टारगेट पर बच्चे हैं। इसलिए सरकार कोई कोताही नहीं बरतने वाली है।

कहा तो यह भी जा रह है कि इस बार के लॉकडाउन के दौरान स्थिति को संभालने की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस की बजाए सेना के कंधों पर डाली जा सकती है। पूरे लॉकडाउन के दौरान सेना ही मोर्चा संभालेगी। इसके लिए सेना और अर्द्धसैनिक बलों को अलर्ट कर दिया गया है।

बता दें कि दूसरी लहर के दौरान कोरोना (COVID19) वायरस के संक्रमण ने पूरी तरीके से तबाही मचा रखी है। संक्रमण की दर इतनी अधिक तेज है कि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। ज्यादातर राज्यों के अस्पतालों में बिस्तर, डॉक्टर, ऑक्सीजन, मेडिसीन और अन्य चिकित्सकीय उपकरणों की घनघोर कमी देखने को मिल रही है।

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