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Madhya Pradesh News : शिवराज ‘मामा’ के संकल्प को बच्चों ने दी मजबूती

मध्यप्रदेश देश में पहला ऐसा राज्य बना जिसने जनभागीदारी के माध्यम से बच्चों के लिए सभी ज़रूरी सामान और खिलौने एकत्रित कर प्रदेश के आंगनबाड़ियों तक पहुंचने की पहल की। इस अनूठे अभियान का पूरा श्रेय प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहन को जाता है, जिन्होंने अपने 'मामा' धर्म का फ़र्ज़ निभाते हुए भंजे-भांजियों का सर्वांगीण विकास और उज्जवल भविष्य सुनिश्चित करने का काम किया।

भोपाल। भारतीय संस्कृति में बच्चों को भगवान का रूप कहा गया है। बच्चों का मन साफ़ और कोमल होता है, साथ ही वे जात-पात व ऊँच-नींच से परे होते हैं। इसीलिए उनके चेहरे पर जाग्रत तेज की कोई तुलना भी नहीं की जा सकती है। बदलते समय के साथ बच्चों के पालन-पोषण के तरीकों में भी काफी बदलाव आया है। आज के डिजिटल युग में माता-पिता भी पहले की तुलना में ज़्यादा जागरूक और सचेत हैं, उन्हें इस बात का पूरा ज्ञान है कि बच्चों के विकास और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए क्या सही और क्या गलत है। लेकिन क्या देश सभी बच्चों के माता-पिता इतने सक्षम हैं या फिर उन अनाथ बच्चों के वर्तमान और भविष्य की चिंता करने वाला कोई है, जिन्होंने दुनिया में आँख खोलते ही अपने माता-पिता या किसी एक को खो दिया था?

लेकिन अगर ईश्वर एक हाथ से कुछ छीनता है, तो दूसरा हाथ भर देता है। बच्चों के प्रति संवेदनशील मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी ऐसे अनाथ और असमर्थ बच्चों के लिए भगवान के किसी दूत से कम नहीं हैं। बच्चों के बीच मामा के नाम से प्रसिद्ध शिवराज सिंह चौहान जी कहते हैं कि मामा का मतलब होता है 2 माओं का प्यार। राज्य के मुखिया के रूप में कम करते हुए श्री चौहान ने मध्यप्रदेश में गरीब और अनाथ बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए अनेकों कार्य किये। वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान अपने माता-पिता दोनों को खो देने वाले बच्चों के पालन-पोषण कि ज़िम्मेदारी मध्यप्रदेश सरकार ने अपने कन्धों पर उठा ली, और ‘कोविड बाल सेवा’ योजना का प्रारम्भ कर उन सभी बच्चों के वर्तमान और भविष्य को सुरक्षित किया जिनके जीवन में अंधेरे के अलावा कुछ भी नहीं बचा था। शिवराज सिंह चौहान के इस संकल्प को पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश सारकार के हर स्तर के अधिकारी और कर्मचारियों निःस्वार्थ भाव से इस कार्य में जुट गए। इस दौरान श्री चौहान ने सुनिश्चित किया कि प्रदेश का एक भी बच्चा भूखा न सोये, जिसके लिए उन्होंने अन्न, भोजन और चिकित्सा की पूरी व्यवस्था की। कोविड के दौरान मुख्यमंत्री के इस भगीरथ प्रयास में प्रदेश की जनता ने भी दिल खोल के सहयोग किया, नतीजन मध्यप्रदेश के इस ‘जनभागीदारी’ मॉडल की पूरे देश प्रशंसा की गयी और उसे अपनाया गया।

बच्चों के जीवन को उत्तम और उनके भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए शिवराज सिंह चौहान निरंतर कार्य करते रहते हैं। इसी के अंतर्गत उन्होनें प्रदेश भर में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त करने का निश्चय किया। श्री चौहान ने संकल्प लिया की प्रदेश की सभी आंगनबाड़ियों में पर्याप्त पौष्टिक भोजन, दवा, किताबे, कपड़े, खिलौने, आदि की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी जिससे यहां आने वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हो और साथ ही उन्हें एक सुन्दर जीवन जीने के लिए हर उपयोगी वस्तु और भोजन पर्याप्त मात्रा में प्राप्त हो। आंगनबाड़ियों को मजबूत बनाने के लिए कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री जी ने ‘एडॉप्ट ए आंगनबाड़ी’ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। इस कार्यक्रम के अंतर्गत मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के मंत्रियों, विधयकों, नेताओं और राज्य की जनता से कम से कम एक आंगनबाड़ी एडॉप्ट करने की अपील की।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी को जन नेता इसीलिए कहा जाता है क्यूंकि उनके एक आह्वान पर प्रदेश का हर बच्चा, बूढ़ा और नौजवान उनके क़दमों के साथ कदमताल करते हुए प्रदेश के विकास कार्य में जुट जाता है। ऐसा ही एक जनकल्याणकारी आह्वान एक बार फिर से शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश की जनता से किया है, क्यूंकि प्रदेश सारकार के प्रयासों में अगर जनता का सहयोग जुड़ जाये तो विकास लक्ष्य को पाने में आने वाली हर बाधा आसान हो जाती है। श्री चौहान ने जनता से अपील की कि, आइये हम सब मिलकर अपने घर, अपने आस पड़ोस और अपने रिश्तेदारों से वो सब सामान, जैसे किताबे, खिलौने, कपड़े, पौष्टिक आहार, इत्यादि, इकठ्ठा करें और उसे अपने नज़दीकी आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों के उपयोग के लिए दें।

अपने इस आह्वान कि शुरुआत मुख्यमंत्री जी ने भोपाल की सड़कों पर ठेला गाड़ी चला बच्चों के लिए खिलौने मांग कर की। प्रदेश के मुखिया के द्वारा सड़क पर ठेला गाड़ी चलाकर बच्चों के लिए खिलौने एकत्रित करने के अनूठे काम ने सभी का दिल जीत लिया। शिवराज ‘मामा’ से प्रेरित होकर भोपाल के 10 वर्षीय रोहन भी अपने आप को रोक नहीं पाया, ओर जल्दी-जल्दी अपने सभी पुराने खिलौने निकाल लाया और आंगनबाड़ी को दान में इसलिए दे दिया ताकि ऐसे बच्चे भी उन खिलौनों को खेल सकें जो ये सब खरीद पाने में असमर्थ हैं। रोहन ने जिस समझदारी के साथ ‘जनभागीदारी’ में अपना योगदान दिया, वह प्रदेश के हर एक नागरिक के लिए प्रेरणादायी है। रोहन की तरह ही शहर के कई बच्चों ने अनाथ और असमर्थ बच्चों के लिए अपनी कॉपी-किताब, खिलौने, कपड़े और खाने का पौष्टिक सामान दान में दिया।

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