महालक्ष्मी व्रत 2022: जानिए महालक्ष्मी व्रत का क्या है महत्त्व और शुभ महूर्त

पितृ पक्ष में गजलक्ष्मी का पूजन करने से राजयोग, मान सम्मान मिलता हैं। महालक्ष्मी व्रत में गजलक्ष्मी की पूजा श्राद्ध पक्ष में अष्टमी तिथि के दिन होती है।

हर साल महालक्ष्मी व्रत भादो यानी भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरु होती है और इसका समापन अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन होता है। यह व्रत सोलह दिनों तक मनाया जाता है। हिंदू धर्म में महालक्ष्मी व्रत का विशेष महत्व है और मां लक्ष्मी यानी गजलक्ष्मी के स्वरूप (हाथी पर सवार) का पूजन किया जाता है।  मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद बरसाती हैं। कुछ स्थानों पर इस व्रत को हाथी पूजा के नाम से भी जाना जाता है।

हिंदू शास्त्रों के अनुसार महालक्ष्मी व्रत में कौड़ियों का विशेष महत्व होता है और कहते हैं कि इस दिन पूजा करते समय अन्य सामग्री के साथ ही कौड़िया रखनी चाहिए। इसके बाद कौड़ियो को उठाकर अपनी तिजोरी में रख देना चाहिए। इससे जातकों को काफी फायदा होगा।

पलाश के फूल मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय हैं। महालक्ष्मी व्रत के दिन पूजा में गजलक्ष्मी को एक पलाश का फूल जरूर चढ़ाएं और पूजन के दौरान नए सूत 16-16 की संख्या में 16 बार रखें।

कहते है कि पितृ पक्ष में गजलक्ष्मी का पूजन करने से राजयोग, मान सम्मान मिलता हैं। महालक्ष्मी व्रत में गजलक्ष्मी की पूजा श्राद्ध पक्ष में अष्टमी तिथि के दिन होती है। इस दिन घर में श्रीयंत्र की स्थान करने से दरिद्रता दूर होती हैं और संतान सुख प्राप्त होता है। साथ ही व्यापार में वृद्धि होती हैं।

इस दिन शुभ मूहर्त पर यानी दोपहर 2 बजकर 33 मिनट पर पूजन करने से मां लक्ष्मी की कृपा होती है और खुशहाली आती है।