नई दिल्ली। महंत नरेंद्र गिरि की मौत को लेकर उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में साधु-संन्यासी की बात होने लगी है। विपक्षी दलों के नेता उत्तर प्रदेश के शासन व्यवस्था को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। प्रयागराज में महंत को श्रद्धांजलि देने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और सपा नेता अखिलेश यादव ने कहा कि उनके परिवार के साथ-साथ हम सब दुखी हैं। मैं उनको याद करता हूं और श्रद्धांजलि देता हूं। उनके अनुयायियों, साथियों और सहयोगियों को इस क्षति पर जो दुख हुआ उसे सहन करने की शक्ति मिले। उनकी मृत्यु को लेकर अलग-अलग खबरें आईं है। यह एक बड़ा विषय है कि उनकी मृत्यु कैसे हुई। न केवल आम लोग, अखाड़ा परिषद से जुड़ लोग भी चाहते हैं महंत गिरि की मौत की सच्चाई सामने आए। इसलिए हाई कोर्ट के सिटिंग जज की अध्यक्षता में इस मामले की जांच होनी चाहिए।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पूज्य नरेंद्र गिरी जी का निधन, अपूरणीय क्षति!
ईश्वर पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व उनके अनुयायियों को यह दुख सहने की शक्ति प्रदान करें।
भावभीनी श्रद्धांजलि। pic.twitter.com/wD2JC14LDp
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 20, 2021
इसके साथ ही कई अन्य सवाल हैं। मीडिया में इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि आखिर आत्महत्या के लिए जो रस्सी उपयोग में लाया गया, वह कैसे पहुंचा ? इसके साथ ही उनके कमरे में सल्फास का मिलना भी सवाल खड़े कर रहा है। सेवादारों का कहना है कि महंत ने कहा था कि उन्हें कपड़े टांगने में समस्या हो रही है इसके लिए उन्हें नायलॉन की रस्सी लाकर दी गई थी। ये वही रस्सी थी जिससे महंत नरेंद्र गिरि ने कथित तौर पर फांसी लगा ली थी। एक शिष्य ने बताया कि उन्होंने मौत से दो दिन पहले ही गेहूं में रखने के लिए डिब्बी मंगाई थी। हालांकि डिब्बी को खोला नहीं गया था।
इस संदिग्ध मौत को लेकर राज्य के पुलिस अधिकारी प्रशांत कुमार का कहना है कि कोई भी व्यक्ति गिरफ़्तार नहीं है, हिरासत में है। पूछताछ के बाद अगर गिरफ़्तार का आधार होगा तो आगे की कार्रवाई करेंगे। जो भी तथ्य सामने आएंगे उसपर निष्पक्ष विवेचना करेंगे… इस मामले में समय नहीं लगेगा, चीज़ें जल्द सप्ष्टहो जाएंगी।