Home राष्ट्रीय कोरोना काल में कई डाॅक्टरों की गई जान, आईएमए ने जताई चिंता

कोरोना काल में कई डाॅक्टरों की गई जान, आईएमए ने जताई चिंता

कोरोना की दूसरी लहर में आम लोगों के साथ ही डाॅक्टरों ने भी जान गंवाई है। मंगलवार को आईएम ने राज्यवार आंकडें दिए हैं और डाॅक्टरों को सलाह दी है। आईएम ने ने डॉक्टरों और प्रशासन से आग्रह किया है कि 6-8 घंटे से ज्यादा काम न करें।

नई दिल्ली। दिल्ली के लिए आज का दिन मनहूस माना जा रहा है। खासकर डाॅक्टरों के समाज में। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पदमश्री डाॅ केके अग्रवाल ने एम्स में आखिरी सांस लीं। वे कोरोना से जूझ रहे थे। बीते कई दिनों से एम्स में भर्ती थे। डाॅक्टरों के साथ ही कई केंद्रीय नेताओं ने उनके निधन पर शोक संवेदना प्रकट की है।

दूसरी ओर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से इस बात पर चिंता व्यक्त की गई कि कोरोना काल में इतने डाॅक्टर मर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इसके लिए डाॅक्टरों से आग्रह किया है कि वे सावधानी बरतें, सतर्क रहें और अधिक समय तक अस्पतालों में काम नहीं करें।

बता दें कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण बिहार में 78 डॉक्टरों सहित 269 डॉक्टरों की जान जा चुकी है। आईएमए की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, दूसरी लहर के दौरान सबसे अधिक डॉक्टरों की जान बिहार में गई है। यहां 78 डॉक्टरों की मौत हुई। इसके बाद उत्तर प्रदेश का नंबर आता है, यहां 37 डॉक्टरों की मौत हुई। दिल्ली में दूसरी लहर के दौरान 28 डॉक्टरों की मौत हुई है। आंध्र प्रदेश में भी 22 डॉक्टरों की मौत हुई है। इस पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने चिंता जताई है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के वित्त सचिव डाॅ अनिल गोयल का कहना है कि जो लोग होम क्वारंटीन में हैं वे अस्पताल लेट जा रहे हैं। जो मरीज घर हैं वे नियमित तौर पर कोविड अस्पताल में किसी न किसी छाती के डॉक्टर को दिखाते रहें ताकि शुरूआत में ही उनका ठीक से इलाज किया जा सके। मृत्यु दर अधिक होने का कारण देर से अस्पताल जाना है। उन्होंने यह भी कहा है कि जो डॉक्टर कोविड यूनिट में दिन रात काम कर रहे हैं। हो सकता है वैक्सीनेशन के बाद भी उनकी इम्यूनिटी उतनी न हो जिससे वे कोविड के नए वेरिएंट से पार पा सकें, इसलिए डॉक्टरों की ज्यादा मौतें हो रही हैं। डॉक्टरों और प्रशासन को कहना चाहता हूं कि 6-8 घंटे से ज्यादा काम न करें।

दूसरे विशेषज्ञ भी कोरोना काल में अधिक तनाव नहीं लेने की बात कर रहे हैं। आम लोगों की चिंता भी इस बात को लेकर है कि यदि डाॅक्टर की इस तरह से मृत्यु होगी, तो आम लोगों में विश्वास की कमी आएगी। और यह बात हमारे समाज के लिए किसी भी रूप में अच्छी नहीं मानी जाएगी।

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