Menstrual Hygiene Day : किशोरियों व महिलाएं सफाई का रखें ध्यान, बीमारियों से रहेंगी दूर

सुरक्षित और प्रभावी मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम) किशोर लड़कियों और महिलाओं के बेहतर और मज़बूत विकास के लिए एक ट्रिगर है। आधुनिकता के तमाम दावों के बावजूद आज भी हमारे समाज में लोग मासिक धर्म के बारे में खुलकर बोलने से परहेज करते हैं।

नई दिल्ली। हर वर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मासिक धर्म के प्रति समाज में फैली गलत धारणाओं को दूर करना और सही जानकारी देना है। 28 मई को ही इसे इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि मई साल का पांचवां महीना होता है। महिलाओं में 28 दिनों के बाद होने वाले पांच दिनों के मासिक चक्र का यह एक संकेत होता है। मासिक धर्म स्वच्छता दिवस का उद्देश्य मौन तोड़ना और मूलभूत भूमिका के बारे में जागरूकता पैदा करना है, जिसमें बेहतर मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन (एमएचएम), महिलाओं और लड़कियों को अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।

मासिक धर्म के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़नी चाहिए। स्कूलों में इस संबंध में पढ़ाई होनी चाहिए। और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि लोगों को इस बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। हमारे समाज के पुरुषों को भी मानसिकता बदलनी होगी। माहवारी के समय किशोरियों या फिर महिलाओं से दूरी बनाकर रहने की प्रवृत्ति को छोड़ना होगा। तभी वह इस पर बात करने के लिए आएंगी। इस विषय पर लोगों को शिक्षित होने की जरूरत है। जितना लोग शिक्षित होंगे, उनमें उतनी ही जागरूकता बढ़ेगी और परंपरागत सोच को वह पीछे छोड़ेंगे।

माहवारी 9 से 13 साल की लड़कियों के शरीर में होने वाली एक सामान्य प्रक्रिया है। आज भी बहुत सी किशोरियां मासिक धर्म के कारण स्कूल नहीं जा पाती हैं। महिलाओं को आज भी इस मुद्दे पर बात करने में झिझक होती है। आधे से ज्यादा लोगों को लगता है कि मासिक धर्म अपराध है। अभी भी हमारे समाज में लड़कियों को मासिक धर्म के दौरान परिवार से अलग-थलग कर दिया जाता है। मंदिर जाने या पूजा करने से रोक दिया जाता है। परिवार के किसी भी पुरुष सदस्य से इस विषय में बातचीत नहीं करने की हिदायत दी जाती है। इससे ऊपर उठने की जरूरत है।