Mobile tower in villages : देश के हर गांव में होगी अब मोबाइल, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी


नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल समिति ने पांच राज्यों आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा के आकांक्षी जिलों के जो गांव मोबाइल सेवा के दायरे में नहीं हैं, उन गांवों में मोबाइल सेवा के प्रावधान के लिए मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के तहत आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा के 44 आकांक्षी जिलों के 7,287 गांव, जो मोबाइल सेवा के दायरे में नहीं हैं, उन गांवों में 4 जी मोबाइल सेवाएं देने की परिकल्पना की गई है, जिसकी अनुमानित लागत 6,466 करोड़ रुपये है। इस धनराशि में पांच वर्षों का परिचालन व्यय भी शामिल है। इस परियोजना का वित्तपोषण सार्वभौमिक सेवा दायित्व निधि (यूएसओएफ) से किया जायेगा। इस परियोजना को समझौते पर हस्ताक्षर हो जाने के बाद 18 महीने के भीतर, यानी नवंबर 23 तक पूरा कर लिया जाना है।

जिन गांवों में ये सेवायें मौजूद नहीं हैं, उन चिह्नित गांवों में 4जी मोबाइल सेवा के प्रावधान से सम्बंधित कार्य को खुली प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के जरिये आवंटित किया जायेगा। यह प्रक्रिया यूएसओएफ की मौजूदा प्रणाली के तहत पूरी की जायेगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जानकारी देते हुए कहा कि रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट बैठक में झारखंड के 19 ज़िलों के 827 गांव, जहां पर टेलीकॉम सेवाएं नहीं थी वहां सेवाएं देने के लिए अनुमोदन दिया है। जिसमें बोकारो जिल़े में 3 गांव, चतरा में 47 गांव, दुमका में 16 गांव, गढ़वा में 35 गांव शामिल हैं। गिरिडीह ज़िले में 22, गोड्डा में 71, गुमला में 84, हजारीबाग में 15, खूंटी में 38, लातेहार में 73, पाकुड़ में 33, पलामू में 45 गांव हैं। पश्चिम सिंहभूम में 183, पूर्वी सिंहभूम में 26, रामगढ़ में 5, रांची में 7, साहिबगंज में 63 और सिमडेगा ज़िले में 36 गांव शामिल हैं।

पांच राज्यों आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा के आकांक्षी जिलों के जो दूर-दराज और दुर्गम क्षेत्र मोबाइल सेवा के दायरे में नहीं हैं, वहां मोबाइल सेवाओं का प्रावधान करने का मौजूदा प्रस्ताव डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ायेगा, जिससे आत्म-निर्भरता, सीखने की सुविधा, सूचना और ज्ञान का प्रसार, कौशल का उन्नयन और विकास, आपदा प्रबंधन, ई-प्रशासन संबंधी पहलें, उद्यमों और ई-वाणिज्य सुविधाओं की स्थापना, ज्ञान तथा रोजगार अवसरों के लिए शैक्षिक संस्थाओं को पर्याप्त सहायता का प्रावधान, स्वदेशी निर्माण और आत्मनिर्भर भारत आदि को प्रोत्साहित करने के सम्बंध में डिजिटल इंडिया का विजन पूरा होगा।