नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जन औषधि दिवस के अवसर पर जन औषधि केंद्र के मालिकों के साथ ही ‘जेनरिक’ दवाइयां उपलब्ध कराने की योजना के लाभार्थियों से वीडियो कांफ्रेंस के जरिये संवाद किया और उनके अनुभव सुने। प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की शुरुआत विशेष रूप से गरीबों और वंचितों के लिए किफायती दरों पर गुणवत्ता वाली दवाइयां उपलब्ध कराने के मकसद से की गई है।
संवाद के बाद अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि जन-औषधि केंद्र तन को औषधि देते हैं लेकिन साथ ही यह मन की चिंता करते हैं और धन को बचाकर जन-जन को राहत भी पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘दवा का पर्चा हाथ में आने के बाद लोगों के मन में जो आशंका होती थी कि पता नहीं, कितना पैसा दवा खरीदने में खर्च होगा….., वह चिंता कम हुई है।’’मोदी ने कहा कि आज देश में साढ़े आठ हजार से ज्यादा जन-औषधि केंद्र खुले हैं और ये केंद्र अब केवल सरकारी स्टोर नहीं, बल्कि सामान्य जन के लिए समाधान केंद्र बन रहे हैं।
Interacting with Jan Aushadhi Pariyojana beneficiaries. Watch. https://t.co/9FClpqAhLI
— Narendra Modi (@narendramodi) March 7, 2022
इस कार्यक्रम का विषय ‘जन औषधि-जन उपयोगी’ रखा गया है। उल्लेखनीय है कि ‘जेनरिक’ दवाइयों के उपयोग और जन औषधि परियोजना के फायदों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए एक मार्च से देशभर में जन औषधि सप्ताह मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक, देश में अभी 8,600 से अधिक जन औषधि स्टोर हैं। इसका उद्देश्य लोगों को वहनीय मूल्य पर दवाइयां उपलब्ध कराना है।
पटना की लाभार्थी सुश्री हिल्डा एंथनी के साथ बातचीत करते हुए, प्रधानमंत्री ने पूछा कि उन्हें जन औषधि दवाओं के बारे में कैसे पता चला। उन्होंने दवाओं की गुणवत्ता के बारे में भी जानकारी ली। उन्होंने उत्तर दिया कि उन्हें दवाओं से बहुत लाभ हुआ है, क्योंकि वे अपनी मासिक दवाएं 1200- 1500 रुपये के बजाय 250 रुपये में प्राप्त करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि वे बचत को सामाजिक कार्यों पर खर्च करती हैं। प्रधानमंत्री ने उनकी भावना की सराहना की और आशा व्यक्त करते हुए कहा कि उनके जैसे लोगों के माध्यम से जन औषधि में लोगों का विश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि मध्यम वर्ग इस योजना का महान दूत हो सकता है। उन्होंने समाज के मध्यम और निम्न-मध्यम एवं गरीब वर्गों की वित्तीय स्थिति पर बीमारी के कुप्रभाव के बारे में भी बात की। उन्होंने समाज के शिक्षित वर्ग से जन औषधि के लाभों के बारे में बात करने का आह्वान किया।
भुवनेश्वर के दिव्यांग लाभार्थी श्री सुरेश चंद्र बेहरा के साथ बातचीत करते हुए, प्रधानमंत्री ने जन औषधि परियोजना के साथ उनके अनुभव के बारे में जानकारी ली। प्रधानमंत्री ने यह भी पूछा कि क्या उनके लिए आवश्यक सभी दवाएं जन औषधि स्टोर पर उपलब्ध हैं। श्री बेहरा ने कहा कि वे दुकान से सभी दवाएं प्राप्त करते हैं और हर महीने 2000-2500 रुपये बचाते हैं, क्योंकि उनके माता-पिता को भी दवाओं की आवश्यकता होती है। प्रधानमंत्री ने भगवान जगन्नाथ से उनके परिवार के कल्याण और स्वस्थ होने की प्रार्थना की। उन्होंने श्री बेहरा के उत्साह की प्रशंसा की, जो एक दिव्यांग हैं और बहादुरी से अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं।