मुंबई। राज्य की राजनीति में एक बार फिर से शिवसेना के मुखिया बाल ठाकरे का अंदाज दिख रहा है। यह अंदाज उनके बेटे और राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नहीं, बल्कि शिवसेना से अलग हो चुका उनका भतीजा राज ठाकरे ने दिखाया है। निशाने पर मुस्मिल समाज है। देखना दिलचस्प है कि राज्य की सत्ता पर काबिज शिवसेना इसको कैसे संभालती है और अपने वोट बैंक को बचाए रखती है या नहीं ?
असल में, महराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार से मांग की है कि सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाए जाएं। ठाकरे ने कहा, “मैं किसी की प्रार्थना के खिलाफ नहीं हूं. आप अपने घर पर प्रार्थना कर सकते हैं लेकिन सरकार को मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का निर्णय करना चाहिए। मैं चेतावनी दे रहा हूं कि फौरन मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा लें नहीं तो हम मस्जिद के सामने लाउडस्पीकर लगा देंगे और हनुमान चालीसा बजाएंगे।”
I am not against prayers, but the government should take a decision on removing mosque loudspeakers. I am warning now… Remove loudspeakers or else will put loudspeakers in front of the mosque and play Hanuman Chalisa: MNS chief Raj Thackeray, in Mumbai, Maharashtra pic.twitter.com/MjSVrWJ5XK
— ANI (@ANI) April 2, 2022
बता दें कि कोरोना के कारण दो साल के बाद शिवाजी पार्क में मनसे कार्यकर्ता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राज बोले, मैं धर्मांध नहीं बल्कि धर्म अभिमानी हूं। मैं जल्द ही अयोध्या में भगवान रामलला के दर्शन करने जाऊंगा। हालांकि उन्होंने अयोध्या दौरे की तारीख का ऐलान नहीं किया। उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर खुशी हुई कि उत्तर प्रदेश प्रगति कर रहा है। हम महाराष्ट्र में वही विकास चाहते हैं। अयोध्या जाऊंगा, लेकिन आज नहीं बताऊंगा कब, हिंदुत्व की भी बात करूंगा। मुझे अपने धर्म पर गर्व है।
राज ठाकरे ने शिवसेना पर साल 2019 के विधानसभा चुनाव में गद्दारी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, मतदाताओं ने शिवसेना को एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए वोट नहीं किया था। राज ने कहा, चुनाव परिणाम के बाद उद्धव समझ गए थे कि शिवसेना के बिना किसी की सरकार नहीं बनेगी इसलिए ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद मांगने लगे।
राज ठाकरे के बयान पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि राज ठाकरे को निकाय चुनाव के नतीजों के बाद ही उद्धव ठाकरे का ढ़ाई साल का मुख्यमंत्री पद वाले वादे की याद आ रही है। इनकी अकल इतनी देर बाद खुली है। भाजपा और शिवसेना में क्या हुआ है वो हम दोनों देख लेंगे। हमें तीसरे की ज़रूरत नही है।