नई शिक्षा नीति से आरक्षण व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं: शिक्षा मंत्री

नई शिक्षा नीति को लेकर कई प्रकार के सवाल उठ रहे हैं। उसमें एक सवाल यह भी है कि क्या इसके लागू होने से वर्तमान आरक्षण व्यवस्था पर कोई निगेटिव प्रभाव होगा। इसको खारिज करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने स्पष्ट किया है कि नई शिक्षा नीति 2020 भारत के संविधान में आरक्षण नीति को बनाए रखा गया है।

उन्होंने कहा कि 24 नवंबर, 2020 के आसपास समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में सवाल किया गया था कि क्या एनईपी 2020 आरक्षण नीति को लागू करता है ?

लेखों के अनुसार, मेरे कुछ राजनीतिक मित्र यह शंका उठा रहे हैं कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति- छम्च्-2020 देश के शैक्षणिक स्थान में आरक्षण के प्रावधानों को कम कर सकती है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि मैं अपने आदेश में सभी प्राधिकरण के साथ स्पष्ट करना चाहूंगा कि ऐसा कोई इरादा नहीं है, जैसा कि एनईपी-2020 में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है।

शिक्षा मंत्री ने आश्चर्य व्यक्त किया कि विभिन्न प्रवेश परीक्षाएँ जैसे जेइई, एनईईटी, यूजीसी-एनईटी, इग्नू का आयोजन एनईपी 2020 की घोषणा के बाद किया गया था, और कई नियुक्ति प्रक्रियाएँ शिक्षण संस्थानों में भी आयोजित की गईं, लेकिन कमजोर पड़ने की एक भी शिकायत नहीं है अब तक आरक्षण का प्रावधान। उन्होंने यक भी कहा कि यह एनईपी की घोषणा के 4-5 महीनों के बाद आशंकाओं को बढ़ाने के अर्थ को समझना मुश्किल है, वह भी बिना किसी तथ्य के समर्थन के लिए।

उन्होंने कहा कि मैं दोहराता हूं कि एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांग और अन्य सामाजिक-आर्थिक वंचित समूहों के शैक्षिक समावेश को लाने के नए प्रयासों के साथ सफल कार्यक्रम और नीतियां जारी रहेंगी। मैं इसे पूरी तरह से स्पष्ट करना चाहूंगा कि मेरा मंत्रालय लेगा। हर उचित कार्रवाई अगर हमें इस संबंध में कोई शिकायत मिलती है।

उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस ऐतिहासिक नई नीति पर उनके विचार गलत छापों को सही कर सकते हैं, जिन्हें प्रकाशित किया जा सकता है, ताकि देश के लोगों को सही संस्करण का पता चल सके।