नई दिल्ली। दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे किसान आंदोलन की कोई सुध नहीं लेता है। न तो आम आदमी और न ही शासन से जुडे लोग। भारतीय किसान यूनियन के नेता भले ही वहां मौजूद हों और देश भर में घूम घूम कर समर्थन हासिल करने की कवायद करते हों, लेकिन केंद्र सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती। अब किसान नेताओं ने तय किया है कि 26 जून को वे लोग राज्यों में राज्यपाल से मिलेंगे और अपनी मांग को उनके सामने रखेंगे।
सोमवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत की ओर से कहा गया है कि 26 तारीख को लोग हर राज्य में राज्यपाल या उपराज्यपाल के यहां जाएंगे। उनको ज्ञापन देंगे और मिलेंगे। करोना है तो 5-6 लोग जाएंगे। अगर सरकार नहीं सुन रही है तो राज्यपाल और राष्ट्रपति बड़े होते हैं। हम राज्यपाल के माध्यम से अपनी बात कहेंगे।
सरकार मानने वाली नहीं है। इलाज तो करना पड़ेगा। ट्रैक्टरों के साथ अपनी तैयारी रखो। जमीन बचाने के लिए आंदोलन तेज करना होगा। #FarmersProtest
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) June 20, 2021
गौर करने योग्य यह भी है कि बीते दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि यदि सरकार के हिसाब से किसानों को बात करनी हो तो केदं्र सरकार रात के 12 बजे भी बात करने को तैयार है। कानून में संशोधन तो हो सकता है, लेकिन कानून रद्द किसी भी सूरत में नहीं होगा।
असल में, यही वार्ता में सबसे बडी बाधा है। किसान नेता नए कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं, जबकि सरकार इस पर बात करने को ही तैयार नहीं है। सरकार की ओर से बार बार कही गई है कि कुछ जरूरी फेरबदल तो संभव है, लेकिन कानून तो यही रहेगा।