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एक बार फिर सावरकर पर राजनीतिक बहस शुरू, क्या कह दिया राजनाथ सिंह और सरसंघचालक ने

विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए मुसलमानों की उस देश में कोई प्रतिष्ठा नहीं है, क्योंकि वे भारत के हैं और इसे बदला नहीं जा सकता है। हमारे पूर्वज एक ही हैं, केवल हमारी पूजा की पद्धति अलग है और हम सभी को इस पर गर्व है। सनातन धर्म की हमारी उदार संस्कृति।

नई दिल्ली। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के सेनानी रहे वीर सावरकर को लेकर राजनीतिक बहस एक बार फिर शुरू हो गई है। एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरसंघचालक मोहन भागवत ने वीर सावरकर को लेकर कई उद्धरण दिए। उसके बाद कई मंचों से सावरकर को लेकर अन्य बातों को प्रचारित किया जा रहा है।
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘सावरकर के खिलाफ झूठ फैलाया गया। बार-बार यह बात कही गई कि उन्होंने अंग्रेजी सरकार के सामने अनेकों मर्सी पिटिशन फाइल की। मगर सच्चाई है कि मर्सी पिटिशनउन्होंने अपने को रिहा किए जाने को लेकर नहीं फाइल की थी। सामान्यता एक कैदी को पूरा अधिकार होता है कि अगर वह मर्सी पिटिशन फाइल करना चाहे तो वह कर सकता है। महात्मा गांधी ने उन्हें कहा था कि आप मर्सी पिटिशन फाइल कीजिए। महात्मा गांधी के कहने पर उन्होंने मर्सी पिटिशन फाइल की थी और महात्मा गांधी ने अपनी ओर से अपील की थी, उन्होंने कहा था कि अगर सावरकर जी को रिहा किया जाना चाहिए, जैसे हम शांतिपूर्ण तरीके से आजादी हासिल करने के लिए आंदोलन चला रहे हैं, वैसे ही सावरकर जी भी करेंगे। यह बात महात्मा गांधी जी ने कही थी। मगर उन्हें बदनाम करने के लिए इस प्रकार की कोशिश की जाती है कि उन्होंने मर्सी पिटिशन फाइल की थी, उन्होंने क्षमा मांगी थी, उन्होंने रिहाई की बात की थी, ये सब बाते गलत और बेबुनियाद है।’


केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के उस बयान पर असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि महात्मा गांधी के कहने पर सावरकर ने अंग्रेजी सरकार के सामने मर्सी पेटिशन फाइल की थी। ओवैसी ने राजनाथ सिंह के बयान पर हमला करते हुए कहा कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो वे एक दिन महात्मा गांधी को हटा कर सावरकर को देश का राष्ट्रपिता बना देंगे।
बता दें कि केंद्रीय सूचना आयुक्त उदय माहूरकर ने वीर सावरकर पर एक पुस्तक लिखा है, जिसका प्रकाशन रूपा प्रकाशन ने किया है। इस पुस्तक का नाम है – वीर सावरकर : द मैन हु कुड हैव प्रीवेंटेड पार्टीशन। राजधानी दिल्ली में इसका विमोचन किया गया। इस दौरान कई केंद्रीय मंत्री उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सावरकर को शेर बताते हुए कहा कि जब तक शेर अपनी कहानी खुद नहीं कहता, तब तक शिकारी महान बना रहता है। उन्होंने कहा कि देश सावरकर के महान व्यक्तित्व व देश भक्ति से लंबे समय तक अपरचित रहा। उन्होंने हेय दृष्टि से देखना न्याय संगत नहीं है। उन्हें किसी भी विचारधारा के चश्मे से देख कर उनको अपमानित करने वालों को माफ नहीं किया जा सकता है। सावरकर महानायक थे, हैं और रहेंगे।
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘वे विकृत इतिहास पेश कर रहे हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा, तो वे महात्मा गांधी को हटा देंगे और सावरकर को राष्ट्रपिता बना देंगे, जिन पर महात्मा गांधी की हत्या का आरोप था और जिन्हें जस्टिस जीवन लाल कपूर की जांच में ‘हत्या में शामिल’ करार दिया गया था।’
सावरकर के बारे में इसी तरह की भावनाओं को जाहिर करते हुए, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हिंदुत्व की उनकी विचारधारा ने कभी भी लोगों को संस्कृति और भगवान की पूजा करने की पद्धति के आधार पर अंतर करने के लिए नहीं उकसाया। भागवत ने कहा, “सावरकर कहा करते थे, हम अंतर क्यों करते हैं? हम एक ही मातृभूमि के पुत्र हैं, हम भाई हैं। पूजा की विभिन्न पद्धतियां हमारे देश की परंपरा रही हैं। हम एक साथ देश के लिए लड़ते रहे हैं।” राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख ने कहा कि उन्होंने उर्दू में कई ग़ज़लें लिखी हैं। भागवत बोले, ”भारतीय समाज में कई लोगों ने हिंदुत्व और एकता के बारे में बात की, सावरकर ने भी इस बात पर जोर दिया कि भारत एकमत रहे। आज इतने सालों के बाद, यह महसूस किया जा रहा है कि अगर सभी ने उनकी तरह से बात की होती, तो कोई विभाजन (देश का) नहीं होता।”

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