Organic Farming से प्योर खाएं, संभव है ये गमले में, कैसे?

गमले में भी संभव है हर्बल गार्डन। यानी है ना प्योर ऑर्गेनिक फॉर्मिंग से। केमिकल फ्री, कम खर्चा, साइड इफेक्ट रहित और बेस्ट सेहत।

नई दिल्ली। ऑर्गेनिक फॉर्मिंग आप भी कर सकते हैं। वो भी बिना जमीन के। चौंक गए। जी हां, इसके लिए आपको ताम-झाम की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसका जवाब है हर्बल गार्डन। हर्बल गार्डन के बारे में आपने बहुत पढ़ा-सुना होगा।

क्या हर्बल गार्डन

हर्बल गार्डन एक प्रकार से बॉटनिकल गार्डन का ही एक प्रकार है। यह हर्ब कई प्रकार के होते हैं, जैसे ऐरोमेटिक हर्ब, ओरनामेंटल हर्ब, मेडसिन हर्ब अैर क्यूलनेरी हर्ब। इन हर्ब्स से कई बीमारियों में राहत मिलती है। यह गमले से लेकर ओपन एरिया में लगाया जा सकता है। इसकी देखभाल में आपको घंटों नहीं गुजारने पड़ते। इसमें कीड़े लगने की संभावना कम से कम होती है।

मेडिसनल प्लांट साइड इफेक्ट रहित

गमले में हर्बल गार्डन लगाने का मुख्य उद्देश्य मेडिसनल प्लांट है ताकि बिना किसी अतिरिक्त खर्च व साइड इफेक्ट के छोटी-मोटी बीमारियों का इलाज गार्डन ऐरिया में लगे फूल-बीज व पत्त्यिं से हो जाएं। हर्बल गार्डन के जरिए वैसे पौधों का संरक्षण किया जाता है जिनकी तादात अब कम हो गई हैं। जायके में इजाफे के लिए हर्बल पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे करी पत्ता , पुदीना, धनिया आदि। उपयोग में आने वाले पौधे का उपयोग पत्ती, तना जड़ आदि को सुखाकर आसानी से स्टोर कर के सालों भर उपयोग किया जा सकता है।

जब तैयार करें हर्बल गार्डन

हर्बल गार्डन में अपनी जरूरतों के अनुरूप पौधों का चयन करें, जैसे- तुलसी, पोदीना, लेमन ग्रास, जिंजर ग्रास, रोजा ग्रास, शतावरी, कालमेघ, स्टीविया, एलोवेरा जैसे पौधों का चुनाव करें। इनडोर हर्बल गार्डन लगाना चाहते हैं तो इसके लिए दक्षिण या फिर पश्चिम की तरफ मुंह वाले खिड़की का चुनाव करें। हर्ब के पौधें को उनकी आवश्यकता के हिसाब से लाइट की जरूरत होती है।

कुछ सुझाव

लविंग प्लांट और नार्मल प्लांट एक ही कतार में न लग पाएं। वैसे पौधे जिन्हें पानी की अधिक आवश्यकता होती है और वैसे पौधें जिन्हें पानी की कम आवश्कता होती है एक ही क्यारी में न लगाएं। पौधों के ईद-गिर्द निकल आएं अतिरिक्त पौधें को निकाल देना चाहिए। हर्ब पौधें को सुबह के वक्त तोड़ना चाहिए। बारहमासी पौधें को तना सहित तोड़ना चाहिए। इनडोर हर्बल पौधे को समय-समय पर उनकी आवश्यकनुसार रौशनी, रिपॉटिंग, कंटाई-छंटाई व मौसम के अनुसार आगे-पीछे करते रहना चाहिए।