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प्रोटॉन बीम थेरेपी की मदद से ठीक होने वाले रोगियों ये साझा किया अपना अनुभव

ब्रेन और स्पाइन ट्यूमर, स्कल बेस ट्यूमर, ओरल कैंसर, गैस्ट्रो-इंटेस्टाइनल कैंसर, बोन और सॉफ्ट टिश्यू ट्यूमर, ब्रेस्ट कैंसर, थोरैसिक कैंसर (फेफड़ों का कैंसर), जेनिटोरिनरी कैंसर (अग्रागम का कैंसर) जैसे विभिन्न कैंसर और ल्यूकेमिया के अलावा मुख्य रूप से बच्चों में कैंसर के इलाज के लिए प्रोटॉन थेरेपी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

नई दिल्ली। दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व का पहला और एकमात्र प्रोटॉन थेरेपी सेंटर, अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर (एपीसीसी) ने प्रोटॉन बीम थेरेपी (पीबीटी) की मदद से दिल्ली की एक 62 वर्षीय महिला का इलाज सफलतापूर्वक किया जो एक अलग प्रकार के दुर्लभ ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित थीं। सुश्री निखत खान, एक 62 वर्षीय महिला, जिन्हें मधुमेह और उच्च रक्तचाप की शिकायतें थीं, अप्रैल 2022 में उन्हें सिरदर्द और डिप्लोपिया होने का पता चला और जून 2022 से उनके चेहरे के बाईं ओर सुन्नता आने लगी थी। कई परीक्षण करने के बाद, यह निष्कर्ष निकला कि उनकी खोपड़ी के तल में ब्रेन ट्यूमर है। ट्यूमर की जगह (खोपड़ी तल) को देखते हुए और चूंकि ट्यूमर हिप्पोकैम्पस, ब्रेन पैरेन्काइमा, बाईलेटरल टेम्पोरल लोब, ऑप्टिक एपरेटस, और पैरोटिड जैसी महत्वपूर्ण हिस्सों के निकट मौजूद था, मिस खान को प्रोटॉन थेरेपी के माध्यम से सहायक विकिरण उपचार करवाने की सलाह दी गई थी। विकिरण उपचार और सर्जरी के बाद रोगी की स्वास्थ्य रिपोर्ट अच्छी आई और उन्हें छुट्टी दे दी गई।

भारत में 2022 में कैंसर की घटना के मामलों की अनुमानित संख्या 14,61,427 है। 2020 में जारी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम (एनसीआरपी) की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में दिल्ली में कैंसर के नए मामलों की अनुमानित संख्या लगभग 35,422 थी। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि दिल्ली में कैंसर की घटना दर प्रति 100,000 जनसंख्या पर 110.3 थी। राजधानी में सबसे आम कैंसर स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ओरल कैविटी कैंसर, फेफड़े का कैंसर और कोलोरेक्टल कैंसर पाए गए हैं।

इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ कैंसर रजिस्‍ट्रीज (आईएआरसी) के अनुसार ब्रेन ट्यूमर के कारण हर साल 24,000 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। अब तक, एपीसीसी ने ब्रेन ट्यूमर के 300 मामलों का इलाज किया है, जिनमें से 24 महाराष्ट्र से हैं।

डॉ. सपना नांगिया, सीनियर कंसल्टेंट, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर, चेन्नई ने कहा, “प्रोटोन बीम थेरेपी आधुनिक रेडिएशन थेरेपी के एक बहुत ही परिष्कृत रूप को दर्शाता है, जो कैंसर के उपचार में उच्चतम स्तर की सटीकता और प्रभावकारिता प्रदान करता है। अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर पेंसिल बीम स्कैनिंग में नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग करता है, जो आसपास के स्वस्थ ऊतकों को होने वाले जोखिम को कम करते हुए ट्यूमर स्थल पर क्षेत्र-दर-क्षेत्र और परत-दर-परत प्रोटॉन बीम छोड़ता है। खोपड़ी तल या फेफड़े जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित ट्यूमर के लिए यह पद्धति विशेष रूप से फायदेमंद है, जहां पारंपरिक विकिरण उपचार से स्वस्थ ऊतकों को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। प्रोटॉन थेरेपी ने उपचार के तत्काल और दीर्घकालिक दोनों दुष्प्रभावों को कम करते हुए कई कैंसर को ठीक करने या नियंत्रित करने में उत्कृष्ट परिणाम प्रदर्शित किए हैं। अंततः, प्रोटॉन थेरेपी न केवल रोगियों के जीवित रहने की संभावना में सुधार करता है बल्कि उपचार के बाद उनके जीवन की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है।

सुश्री निखत ने कहा, “अपने कैंसर के सफ़र के दौरान अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर के कर्मचारियों से मुझे जो भी आवश्यक उपचार मिला है उसके लिए मैं उनका जितना भी धन्यवाद करूं वो कम होगा। मेरी चिकित्सा टीम और सहायक कर्मचारियों से मुझे जो देखभाल और ध्यान मिला वह असाधारण था। उन्होंने मुझे ऐसा महसूस कराया कि मैं उनके लिए बहुत ज्यादा मायने रखती हूँ और प्रोटॉन बीम थेरेपी से मुझे अनुकूल परिणाम मिले। मैं उनकी विशेषज्ञता, करुणा और समर्पण के लिए आभारी हूं, जिसने मुझे अपनी बीमारी से उबरने और स्वस्थ जीवन में लौटने में मदद की।”

“एपीसीसी में सर्वाइको-मेडुलरी पायलोसाइटिक एस्ट्रोसाइटोमा का इलाज मेरे लिए एक समग्र अनुभव था। डॉक्टर और क्लिनिकल कर्मचारियों ने मेरे चुनाव पर बड़ा ध्यान दिया और उपचार के लिए एक विस्तृत योजना बनाई। ब्रेन ट्यूमर के साथ मेरी जंग में इंटेंसिटी-मॉड्युलेटेड प्रोटॉन थेरेपी एक गेम चेंजर साबित हुआ। माहौल ऐसा था कि मुझे अस्पताल जैसा महसूस ही नहीं हुआ,” श्री नवादिया जेमिन मनसुखभाई कहते हैं, जिनका एपीसीसी में इलाज हुआ था।

प्रोटॉन थेरेपी उपचार का प्रमुख लाभ यह है कि प्रोटॉन जैसे-जैसे कैंसर वाले ट्यूमर की ओर बढ़ते हैं, वो धीरे-धीरे अपनी ऊर्जा जमा करता जाता है और शरीर को नुकसान पहुंचाए बिना सीधे ट्यूमर में अधिकांश विकिरण खुराक जमा कर देता है और इस प्रकार स्वस्थ ऊतकों और अन्य अंगों को कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता है। प्रोटॉन थेरेपी को शरीर के खोपड़ी-तल क्षेत्रों जैसे कुछ सबसे कठिन जगहों में स्थित विभिन्न कैंसर पर स्थानीय रूप से नियंत्रण पाने में बेहतर पाया गया है, अन्यथा जिनका इलाज करना मुश्किल है। पेंसिल बीम स्कैनिंग, अत्यधिक परिशुद्ध छवि मार्गदर्शन और मशीन सेट अप में जबरदस्त शोधन सहित इस तकनीक में की गई नवीनतम सफलताओं के कारण पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर के अस्पतालों ने इस तकनीक को अपनाया है।

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