नई दिल्ली। बीते महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन बनने के लिए शिलान्यास किया था। उसके साथ ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया था। इसके निर्माण पर संकट के बादल घुमरने लगे थे। लेकिन, अब सुप्रीम कोर्ट ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है। आज अहम निर्णय लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच के दो सदस्यों जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने परियोजना को मंजूरी देने वाला बहुमत से फैसला दिया है।
वहीं, बेंच के सदस्य जस्टिस संजीव खन्ना ने अपने फैसले में कहा कि लैंड यूज बदलने की प्रक्रिया कानूनी रूप से सही नहीं थी। पर्यावरण मंजूरी लेने की प्रक्रिया में भी स्पष्टता नहीं है। जस्टिस खन्ना ने हेरिटेज कमिटी की मंजूरी लिए बिना परियोजना शुरू करने को भी गलत बताया है।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट की हरी झंडी मिल गई है। अब हेरिटेज कमिटी की मंजूरी और कोर्ट की तरफ से दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए परियोजना को आगे बढ़ाया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि 10 दिसंबर,2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का शिलान्यास किया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, नई संसद भवन और सरकारी इमारतों वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने 2-1 के बहुमत से माना है कि प्रोजेक्ट के लिए जरूरी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है। वैसे कहा जा रहा है कि कोर्ट ने परियोजना में निर्माण कार्य शुरू करने से पहले हेरिटेज कमेटी की भी मंजूरी लेने का निर्देश दिया है। दोनों जजों ने इस बात को स्वीकार किया है कि परियोजना शुरू करने से पहले हेरिटेज कमिटी की मंजूरी नहीं ली गई। उन्होंने कहा है कि कोई भी निर्माण करने से पहले इस कमिटी की मंजूरी जरूर ली जाए, क्योंकि पूरे इलाके में कई ऐतिहासिक धरोहर इमारतें हैं। इस फैसले में यह भी कहा गया है कि प्रदूषण से बचने के लिए प्रोजेक्ट का निर्माण करते वक्त वहां पर उचित संख्या में स्मॉग टावर लगाए जाएं।