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Pollution in Delhi : प्रदूषण ने दिल्ली सहित कई दूसरे शहरों का भी हाल किया बेहाल

प्रदूषण ने सित्तम ढाया हुआ है। वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार खतरे की श्रेणी में है। बच्चों और लोगों को घरों से कम निकलने की सलाह दी गई है। दिल्ली और हरियाणा सरकार ने कई तरह की बंदी की घोषणा की है।

नई दिल्ली। प्रदूषण अब जानलेवा होती जा रही है। दिल्ली सरकार के साथ ही हरियाणा और उत्तर प्रदेश की राज्य सरकारों ने भी कई तरह की पाबंदी अपने शासकीय क्षेत्र में लगाई है। दिल्ली सरकार की ओर से अपने प्रशासनिक क्षेत्र में एक सप्ताह के लिए स्कूल, कॉलेज, कोचिंग संस्थान, कई कार्यालय और निर्माण कार्य को बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही हरियाणा सरकार ने भी चार जिलों में बंदी की घोषणा की है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण को लेकर सरकार ने सारे स्कूल और ट्रेनिंग सेंटर को बंद करने का निर्णय लिया था। इनमें केवल उन जगहों को छूट होगी जहां पहले से परीक्षाएं हैं। निर्माण स्थलों पर कार्य 17 नवंबर तक बंद रहेगा उसके बाद सरकार निर्णय लेगी।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट निर्माण कार्य पर पूछे गए सवाल पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली के अंदर जितने भी निर्माण कार्य चल रहे हैं, वह सब बंद रहेंगे। छोटे-बड़े निर्माण कार्य, केंद्र और दिल्ली सरकार या फिर निजी और MCD के कार्य, सभी तरह के निर्माण कार्य बंद रहेंगे।

दिल्ली प्रदूषण पर बोलते हुए भाजपा सांसद गौतम गंभीर ने कहा कि पिछले 6 साल में केजरीवाल सरकार ने प्रदूषण के ऊपर क्या काम किया? प्रदूषण की बात छोड़िए यमुना की बात कीजिए। यमुना के लिए उन्हें 2,000 करोड़ रुपए दिए गए थे, वह कहां गए। खुद को दिल्ली का बेटा बोलना आसान है, बनना मुश्किल है।

बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए हरियाणा के गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर जिलों में नगर निकायों द्वारा निर्माण गतिविधियों, पराली जलाने और कचरा जलाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके अलावा हरियाणा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सड़कों पर धूल को नियंत्रित करने के लिए मैनुअल स्वीपिंग को रोकने और पानी का छिड़काव शुरू करने का आदेश दिया है। दिल्ली की तरह सभी सरकारी और निजी कार्यालयों को घर से काम करने की सलाह दी गई है।

सरकार के तमाम दावों के बावजूद पंजाब के कई हिस्सों में अभी भी पराली जलाने की खबरें आती हैं। अमृतसर के जंडियाला गांव में किसानों ने अपने खेतों में पराली जलाई। एक किसान ने बताया, “ये पराली नहीं जल रही बल्कि सरकार के वादों की अर्थी जल रही है क्योंकि सरकार को सिर्फ वादे करने होते हैं लेकिन उसे पूरा नहीं करना होता है।”

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