एक बार फिर नए संबंधों का गवाह बनेगा पोस्टकार्ड

यही पहली बार नहीं है कि पोस्टकार्ड को लेकर पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ने का काम किया गया है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मासिक कार्यक्रम ’मन की बात’ में कई मुद्दों को लेकर ऐसा करने को कह चुके हैं।

पौराणिक काल से लेकर आधुनिक समय तक संदेश भेजने के लिए कागज का प्रयोग होता रहा है। पोस्टकार्ड इसका एक प्रचलित रूप रहा है। व्यक्तिगत स्तर पर संबंध की बात हो, पारिवारिक स्तर पर कोई संदेश भेजना हो, अथवा देश में अलख जगाना हो, पोस्टकार्ड ने अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। एक बार फिर भारत को सांस्कृतिक रूप से जोड़ने और उसे पहले से अधिक मजबूत करने के लिए पोस्टकार्ड का सहारा लिया जा रहा है। काशी के लोग कांची वासी को पोस्टकार्ड के जरिए अपना संदेश देंगे। रामेश्वर के वासी भगवान विश्वेसर के अनुयायियों को काशी से रामेश्वरम सहित तमिलनाडु के अन्य पौराणिक धार्मिक नगरी आने का न्यौता देंगे।

काशी तमिल संगमम के दौरान इसकी शुरुआत हो चुकी है। भारत सरकार के केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री डॉ सुभाष सरकार ने तमिलनाडु और वाराणसी सहित उत्तर प्रदेश के लोगों से आह्वान किया कि आप लोग एक दूसरे को पोस्टकार्ड भेजें। इन पोस्टकार्ड पर अपना पता और अपने जिला के बारे में पूरी जानकारी देते हुए आने निमंत्रण दें। शुक्रवार को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रांगण में स्वयं डॉ सुभाष सरकार ने कई लोगों को पोस्टकार्ड दिया और ऐसा करने को कहा। इसके पीछे की मंशा को बताते हुए डॉ सुभाष सरकार ने कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से हम उत्तर और दक्षिण की एकता का संदेश भी दे रहे हैं। काशी और तमिलनाडु हमारी संस्कृति और सभ्यताओं के कालजयी केंद्र हैं। काशी तमिल संगम न केवल भारत के उत्तर और दक्षिण बल्कि पूरे देश के बीच ऐतिहासिक, सभ्यतागत और सांस्कृतिक संबंधों के कई पहलुओं का जश्न मनाता है।

असल में, जनवरी, 2022 में प्रधानमंत्री ने कहा था कि मुझे एक करोड़ से ज्यादा बच्चों ने अपने मन की बात लिखकर भेजी है। ये देश-विदेश से आए हैं। इनमें से काफी पोस्टकार्ड को पढ़ने की कोशिश की है। गुवाहाटी से रिद्धिमा ने लिखा कि वे आजादी के 100वें साल में ऐसा भारत देखना चाहती हैं, जो दुनिया का सबसे स्वच्छ देश हो, आतंकवाद से मुक्त हो, 100 फीसदी साक्षर हो।

दरअसल, पोस्टकार्ड का आविष्कार आस्ट्रिया में 1869 को हुआ था। वह इतना लोकप्रिय साबित हुआ कि एक महीने में ही 15 लाख पोस्टकार्ड बिक गए। अन्य देशों ने भी उसे अपनाने में देरी नहीं की। ब्रिटेन ने 1872 में पोस्टकार्ड जारी किया। सात ही वर्षों में, यानी 1879 को, भारत में पोस्टकार्ड जारी कर दिया गया। यहां पहले पोस्टकार्ड की कीमत तीन पैसे थी। प्रथम नौ महीने में ही भारत में 7.5 लाख रुपए के पोस्टकार्ड बिक गए। महात्मा गांधी पोस्टकार्ड के अच्छे ख़ासे प्रशंसक एवं उपयोगकर्ता थे। उन्होंने अपने सैंकड़ों पत्र पोस्टकार्डों पर लिखे। पोस्टकार्ड के इस विश्व-विख्यात उपयोगकर्ता को सम्मानित करने के लिए डाक विभाग ने 1951 और 1969 में विशेष गांधी पोस्टकार्ड जारी किए।