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प्राइवेट मेडिकल कॉलेज एक सीमा से अधिक फीस में बढ़ोत्तरी नहीं कर सकेंगे

नई दिल्ली। भारत के प्राइवेट कॉलेजों में अत्यधिक फीस के कारण मेडिकल सीटें पाना मुश्किल होता है। इसी के मद्देनजर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने भारत में देश के प्राइवेट कॉलेजों को सरकारी कॉलेज की फीस पर 50 फीसदी सीटें देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। यानी कि अगले शैक्षणिक सत्र से प्राइवेट कॉलेज की 50 फीसदी सीटों की फीस सरकारी कॉलेजों के बराबर होगी।

इस गाइडलाइन के अनुसार प्राइवेट कॉलेज एक सीमा से अधिक फीस में बढ़ोत्तरी नहीं कर सकेंगे। इसके साथ ही प्राइवेट कॉलेज में 50 फीसदी सीटों पर फीस सरकारी कॉलेजों के बराबर होगी। आधिकारिक सूत्र के अनुसार एनएमसी के दिशा-निर्देश में कहा गया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत सीटों की फीस राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर होनी चाहिए। ये नियम अगले शैक्षिणिक सत्र से प्रभावी होगा। इस गाइडलाइन को प्रत्येक राज्य की फीस निर्धारण समिति द्वारा अपने संबंधित मेडिकल कॉलजों के लिए अनिवार्य रूप से लागू करना होगा।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एनएमसी के दिशा-निर्देश में कहा गया है कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों और डीम्ड विश्वविद्यालयों में 50 प्रतिशत सीटों की फीस राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर होनी चाहिए। इस गाइडलाइन को प्रत्येक राज्य की फीस निर्धारण समिति द्वारा अपने संबंधित मेडिकल कॉलेजों के लिए अनिवार्य रूप से लागू करना होगा।

हालांकि यदि सरकारी कोटे की सीटें कुल स्वीकृत सीटों के 50 प्रतिशत से कम हैं, तो शेष उम्मीदवारों को योग्यता के आधार पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों के बराबर शुल्क का भुगतान करने का लाभ मिलेगा। बता दें National Medical Council 2019 की धारा 10(1)(्र) के अनुसार, पैनल निजी चिकित्सा संस्थानों में 50 प्रतिशत सीटों के लिए फीस और अन्य सभी शुल्कों के निर्धारण के लिए दिशा-निर्देश तैयार करेगा और माना जाएगा। केंद्र ने तत्कालीन एमसीआई के अधिक्रमण में तत्कालीन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स से एनएमसी के विचार के लिए मसौदा शुल्क-निर्धारण दिशानिर्देश तैयार करने का अनुरोध किया था, जब भी इसका गठन किया गया था।

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