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Rajasthan : पगड़ी से सिर ही नहीं, बढ़ती है रेलवे स्टेशन की शोभा भी

लोगों के मान-प्रतिष्ठा से जुडी पगड़ी कैसे रेलवे स्टेशन से जुड गई, यह कहानी रोचक है। उम्मीद की जा रही है कि राजस्थान के कई दूसरे स्थानों पर भी इसे दोहराया जाएगा। प्रदेश की संस्कृति समाज को एक नया संदेश देगी।

बीकानेर। अभी तक आपने देखा और सुना होगा कि पगड़ी से पुरूष के माथे यानी सिर की शोभा बढ़ती है। इसे इज्जत, मान-प्रतिष्ठा का प्रतीक भी माना गया है। यूं तो हर प्रदेश में इसकी अलग महत्ता है, लेकिन राजस्थान में इसका प्रचलन अधिक है। आप जब भी राजस्थान जाएंगे, शहर हो या गांव, हर जगह पगडी आपको लोगों के माथे पर दूर से ही दिख जाएगी। वह भी रंग-बिरंगी।

इस सबके बीच यदि आपसे यह कहा जाए कि पगड़ी से किसी व्यक्ति के बजाय एक रेलवे स्टेशन की शोभा बढी है, तो आप हैरत में पड जाएंगे। सोच में पड गए न। लेकिन यह सच्चाई है। पगड़ी राजस्थान के बीकानेर की शोभा बढाएगी।

असल में, राजस्थान की आन बान शान का प्रतीक और वेशभूषा का अभिन्न अंग पगड़ी बीकानेर के रेलवे स्टेशन की शोभा बढ़ाएगी। इसकी पूरी तैयारी हो गई है। यदि आप भी इसे देखना चाहते हैं तो बीकानेर आने का योजना बना लें।

बता दें कि हाल ही में बीकानेर के कलाकार पवन व्यास द्वारा बनाई गई 1569 फीट लम्बी पगड़ी रविवार को बीकानेर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक पर रखी गई। बीकानेर रेलवे मजिस्ट्रेट राजेन्द्र साहू एवं समाज सेवी महावीर रांका द्वारा इसका उद्घाटन किया गया। रोट्रेक्ट मरुधरा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अलग-अलग आकार की पगड़ियों को भी जनता के अवलोकन के लिए रखा गया है। क्लब के अध्यक्ष आशीष किराडू ने बताया कि क्लब द्वारा बीकानेर की संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए समय-समय पर इस तरह के कार्य किए जाते हैं।

और तो और, उन्होंने यह बताया कि यहां सबसे छोटी व सबसे बड़ी पगड़ी एक साथ रखी गई है और इससे आने जाने वाले यात्रियों को राजस्थानी संस्कृति से रूबरू होने का मौका भी मिलेगा वहीं राजस्थान पर्यटन को भी फायदा होगा और राजस्थानी कला को प्रोत्साहन मिलेगा।

अब आप मान गए न। यही होता है जब आप अपनी प्रतिष्ठा को दूसरे के साथ जोडते हैं, तो बेहतरीन बात बनती है।

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