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Ranchi : कवि रत्न नईमुद्दीन मिरदाहा की दिल का दौरा पड़ने से मौत,क्षेत्र में शोक की लहर।

राँची जिला के बेड़ो प्रखंड के कादोजोरा गांव निवासी 85 वर्षीय कवि रत्न नईमुद्दीन मिरदाहा "रस खान" की हृदय गति रुक जाने से अपने पैतृक आवास में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।

उनके निधन पर क्षेत्र के कलाकारों,रंगकर्मियों, कवियों, समाजसेवियों व शिक्षाविदों ने गहरा शोक प्रकट करते हुए इसे लोक कला जगत के लिए अपूरणीय क्षति बतलाया है।

उनका अंतिम संस्कार कोविड-19 के मद्देनजर सरकार द्वारा जारी किए गए गाइडलाइंस के तहत उनके पैतृक निवास कादोजोरा गांव स्थित कब्रस्थान पर किया गया।

कवि रत्न नईमुद्दीन को .राजनेताओं ने दर्जनों पुरस्कार व सम्मान देकर सम्मानित किया था।जिसमें बिहार के तत्कालीन राज्यपाल वेंकट सवैया ने 14 अगस्त 1985 को फिल्म विहान मैं उन्हें ओपनिंग सोंग के उपलक्ष में रांची स्थित मेकॉन रेस्ट हाउस में प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था। वहीं बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने 15 अगस्त 1996 को राष्ट्रभाषा परिषद पटना बिहार की ओर से विधानसभा के सभागार में आयोजित समारोह में उन्हें गीतकार,कहानीकार,लोक भाषा साहित्य पुरस्कार के साथ-साथ 7000 की राशि देकर सम्मानित किया था।

उन्हें कविरत्न और झारखंड रत्न की उपाधि से विभूषित किया गया था। वहीं 8 फरवरी 2013 को झारखंड के तत्कालीन मंत्री सुदेश कुमार महतो ने नागपुरी भाषा परिषद की ओर से उन्हें प्रफुल्ल सम्मान देकर सम्मानित किया था। इधर झारखंड के तत्कालीन कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने वर्ष 2002 में लोक सेवा समिति रांची के तत्वाधान में आहुत एक समारोह में उन्हें झारखंड रत्न सम्मान देकर सम्मानित किया। इतना ही नहीं वर्ष 2014 में दूरदर्शन रांची की स्थापना दिवस के अवसर पर उन्हें लोक गायक सम्मान वह प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

मधुर व मित भाषी होने के कारण रसखान की उपाधि से भी नवाजा गया। लोक भाषा और साहित्य में रचित कहानी में से मेंजूर पाईंख और कविता व गीत संग्रह में एक कांधी केवराक फूल उनकी प्रमुख कृतियां हैं। साथ ही चूड़ा मईन भगत,भईरंडा बेंग, टूरा,कोड़ीकर बेंट और सोना उनकी अन्यतम कृतियां हैं। उन्हें भवप्रिता, कृष्ण लीला और श्रृंगार रस से जुड़ी कविता लिखने में महारत हासिल था। वहीं जीवन के अंतिम क्षण तक उन्हें लोक भाषा और लोक साहित्य के लेखन के प्रति अगाध प्रेम था।

उनकी रचनाओं में कहानियां व कविताएं रांची विश्वविद्यालय के बीए और एमए ए की कक्षाओं में पढ़ाई जाती हैं। वहीं हारमोनियम वादक व लोक गायक के रूप में उनकी अनोखी पहचान थी।

छोटानागपुर सांस्कृतिक संघ परिवार ने कविरत्न नईमउद्दीन मिरदाहा के निधन पर शोक व्यक्त किया । संघ की सचिव डॉ. सचि कुमारी ने कहा कि नागपुरी साहित्य जगत का एक और फूल मुरझा गया । अपनी रचनाओं के माध्यम से झारखंडी परिदृश्य को उकेरने वाले कविरत्न आज अमर हो गए। संघ के “डहर” पत्रीका में छपी उनकी अंतिम रचना “नागपुरी कर एक बौऊराल कवि” जो डा० बिशेश्वर प्रसाद केसरी पर आधारित थी । आज भी घर की स्त्रियाँ छोटे बच्चों को खेलाते वक्त गाती हैं तोहों डिंडा , मोहों डिंडा चल पोखइर पींडा लाइन देबऊ चिंटा माटी लेईस देबउ पींडा ……नाच रे बुधु थथक – थइया ।
अब इनकी स्मृति शेष है। नागपुरी जगत को लगातार आघात पहुंचा है। इस महान विभूति का दिया बुझ जाने पर बेड़ो समेत लोक कला जगत में शोक की लहर दौड़ गई है।

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