नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली में वाकई सबसे अधिक लोग मरे ? यह सवाल उस समय उठा, जब भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता ने दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार के आंकडों को लेकर तुलना की। दोनों ही सरकार दस्तावेज में गजब का अंतर है। एक ओर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि दिल्ली में कोरोना (COVID19) संक्रमण की स्थिति काबू में है और पाॅजिटिवटी रेट बेहद कम हो गई है, इसलिए सरकार अनलाॅक की प्रक्रिया में आ गई है। लेकिन मौतों को लेकर जो बयान आए हैं, उससे नया विवाद जन्म ले रहा है।
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा (Sambit Patra) ने गुरुवार को कहा कि दिल्ली की मृत्यु दर (COVID19 Death in Delhi) देश में सबसे अधिक 2.9% है और दूसरे नंबर पर पंजाब है जबकि राष्ट्रीय मृत्यु दर 1.3% है। क्या कारण है कि दिल्ली में इतनी मौतें हुई हैं और कौन इसके लिए जिम्मेदार है? उन्होंने कहा कि अप्रैल और मई में दिल्ली के 3 नगर निगमों द्वारा लगभग 34,750 मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं लेकिन दिल्ली सरकार के सरकारी आंकड़े 9,916 प्रमाण पत्र हैं। मृतकों के जो आंकड़े दिखाए गए और जो वास्तविक संख्या है उसमें 250% बढ़ोतरी है।
संबित पात्रा (Sambit Patra) ने कहा कि 2 महीनों के कोविड के सरकारी आंकड़े 13,201 रहे। नगर निगम (MCD) के आंकड़ों और आधिकारिक आंकड़ों का अंतर 21,549 है। 21,000 से अधिक मौतों का कोई हिसाब देने को तैयार नहीं है। दिल्ली की सरकार इस पर सफाई दे। MCD
अब सवाल उठता है कि भाजपा प्रवक्ता ने जो दिल्ली नगर निगम के द्वारा जारी मृत्यु प्रमाण पत्र के आधार पर सवाल किया है, उसका जवाब दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) स्वयं देंगे या उनकी और से कोई और कुछ कहने के लिए आएगा।