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सुप्रीम कोर्ट से कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की गिरफ्तारी पर 28 फरवरी तक रोक

पवन खेड़ा को अंतरिम जमानत देने के लिए द्वारका कोर्ट से कहा। सभी एफआईआर जोड़ने के मुद्दे पर असम-यूपी सरकार को नोटिस ।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता और प्रवक्ता पवन खेड़ा को अंतरिम राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के द्वारका कोर्ट से कहा है कि खेड़ा को अंतरिम जमानत दे। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी एफआईआर को एक जगह जोड़ने की मांग पर असम और यूपी सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया। मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने पवन खेड़ा की गिरफ्तारी का मामला उठाते हुए पवन खेड़ा पर दर्ज सभी एफआईआर को एक जगह करने का आग्रह करते हुए कहा कि उन पर लखनऊ, वाराणसी और असम में एफआईआर दर्ज हैं। सिंघवी ने पवन खेड़ा की गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि असम पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए आई है।
कोर्ट ने जब असम पुलिस से पूछा कि किस कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है, तो असम पुलिस ने लिखकर कुछ जवाब दिया है। सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि वाराणसी, लखनऊ में 20 फरवरी, जबकि असम में 23 फरवरी को मुकदमा दर्ज किया गया। उन्होंने कहा कि दरअसल प्रधानमंत्री के असल नाम को लेकर कन्फ्यूजन था। उन्होंने कहा कि मैं खुद टीवी पर बैठता हूं, मैं मानता हूं कि ऐसा बयान नहीं देना चाहिए था। इसके लिए उन्होंने उसी समय माफी भी मांगी थी।
असम सरकार की तरफ से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कोर्ट वीडियो देखकर तय करे कि क्या पवन खेड़ा ने यह बयान जानबूझकर दिया था या नहीं। चीफ जस्टिस समेत बेंच के तीनों जजों को पवन खेड़ा का वीडियो दिखाया गया। सिंघवी ने कहा कि अपराध की तुलना में उन पर लगाई गई धाराएं सुसंगत नहीं हैं। उन्होंने कोर्ट से गिरफ्तारी से राहत की मांग की। सिंघवी ने कहा कि खेड़ा जांच में सहयोग करेंगे, इसलिए इस मामले में दर्ज सभी मुकदमों को एक साथ क्लब कर दिया जाए। तब चीफ जस्टिस ने कहा कि हम इस स्टेज पर एफआईआर रद्द नहीं कर सकते हैं। हालांकि यह संकेत दिया कि हम सभी मुकदमों को एक राज्य में निर्धारित कर देते हैं, ताकि वह राहत के लिए हाईकोर्ट जा सकें।

कोर्ट में दोबारा वीडियो चलाया गया। इस पर एएसजी ने कहा कि मामले की गंभीरता देखी जानी चाहिए । उन्होंने प्रधानमंत्री के खिलाफ क्या-क्या बोला है। सिंघवी ने कहा कि उन्हें जानबूझकर परेशान करने की कोशिश की जा रही है। सिंघवी ने राहत की मांग करते हुए कहा कि जो अपराध किया है उसमें 3 और 5 साल की ही अधिकतम सजा है। ऐसे में राहत दी जानी चाहिए। सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि असम पुलिस ने अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 41 के तहत पहले पूछताछ के लिए समन नहीं किया है। यहां प्रक्रिया का पालन किए बिना सीधे गिरफ्तारी करने के लिए आए हैं।

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