Talk with Brain, तोल-मोल के बोलिए, पढ़ें बातचीत की रूलबुक

आप क्या कहते हैं, क्या सुनते हैं, क्या मंशा से कहना चाहते हैं और सामने वाला क्या समझता है...यह सब शब्दों से ज्यादा बातचीत के तरीके पर निर्भर करता है। सोच-समझकर बोलिए, ताकि मुंह से निकली बात आपकी छवि में दाग न लगा दे। बातचीत के दौरान अपनाएं कुछ हिदायतें।

नई दिल्ली। बात से बिगड़े काम बन जाते हैं और कई बार बातचीत से संवरे काम भी बिगड़ सकते हैं। बातचीत से बहुत कुछ हो सकता है। बडे-बुजुर्गों ने सही कहा है कि मुंह से निकली बात कभी वापिस नहीं आती। ऐसे में सोच-समझकर बोलिए, ताकि मुंह से निकली बात आपकी छवि में दाग न लगा दे। सफलता के लिए घर-बाहर बातचीत को सफल बनाने का प्रयास करें। अन्यथा आपकी छवि धूमिल होते हुए आपसे सफलता बहुत दूर हो जाएगी।

  •  यदि आप कार्यालय में हर बात तोर्लमोल कर बोलते हैं तो उसकी सराहना सभी करते हैं।
  • बातचीत करते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि किसी सहकर्मी पर अनजाने में कोई कटाक्ष तो
    नहीं कर रहे हैं।
  • कार्यप्रणाली में यदि कोई अड़चन आ रही ळे तो मिलजुलकर उसका हल निकालें़ न कि सबके
    सामने बॉस को कोसना शुरू कर दें।
  • बातचीत करते समय दूसरे को यह न लगे कि आप किसी की झूश्ी प्रशंसा कर उसकी चापलूसी
    कर रहे हैं।
  • आपकी कार्यक्षमता कितनी है यह कार्यालय के लोगों सहित बॉस को भी पता होता है। अतः
    अपने कार्य की प्रशंसा स्वयं न करें।
  • समय पर कार्य पूरा न हो पाने पर न तो झल्ला कर उर्ल्टासीधा बोलें और न ही तकनीकी
    प्रणाली को दोष दें।
  • अस्वस्थ होने या अवकाश पर जाने की स्थिति में अपने सहयोगी कर्मचारी से अपने हिस्से का कार्य पूर्ण करने के लिए सहज भाव से निवेदन करें। आदेशात्मक रूप में कदापि नहीं।
  • बातचीत करते समय ध्यान रखें कि कोई अश्लील विषय पर तो बहस नहीं छिड़ गई है।
  • यदि कार्यालय में आप फोन पर अपने किसी परिचित से बातें कर रहे हैं तो उसे भद्दी गालियां आदि कदापि न बोलें। इससे कार्यालय में आपके व्यवहार का ओछापन प्रकट होता है।
  • यदि कोई कर्मचारी आपसे किसी अनर्गल विषय पर बातचीत करके टाइम पास करने का इरादा रखता
    है तब आप बड़ी चतुराई से उस विषय को अच्छे विषय की तरफ मोड़ने का प्रयत्न करें।
  • यदि कभी किसी से मजाक करने का मूड बन रहा हो तो समय और परिस्थिति देखकर करें
    वरना मजाक का उल्टा असर हो सकता है।
  • कुछ लोग दूसरों की कही गई बात को अक्सर अनसुनी कर देते हैं और अपनी ही बात को रबर
    की तरह खींचते जाते हैं। ध्यान रखें अच्छा वक्ता बनने के लिए अच्छा श्रोता होना बहुत
    जरूरी है।