Home ओपिनियन केवल ही धर्म ही नहीं समाज को भी सहेजते हैं मंदिर

केवल ही धर्म ही नहीं समाज को भी सहेजते हैं मंदिर

समय-समय पर हमारे मनीषियों की ओर से आह्वान किया जाता रहा है कि एक मंदिर, एक कुआं आर एक श्मशान के माध्यम से सामाजिक समरसता स्थापित कर इस काम को गति दी जाए।

सोमा राजहंस

मंदिर को केवल देवालय नहीं माना जाना चाहिए। यह हमारी आस्था, सामाजिक समरसता, संस्कृति, संस्कार जैसे भावों को अक्षुण्ण रखती है। मंदिर की प्रबंधन समिति न केवल धार्मिक आयोजनों को धूमधाम से मनाती है, बल्कि प्रबंधन समिति सामाजिक सरोकारों को भी पूरी तरह निभा रही है। वंचित वर्ग को शिक्षित करने के साथ-सथ सामूहिक विवाह का आयोजन भी समय-समय पर मंदिर में किया जाता है। जरूरतमंद लोगों के लिए अस्पताल भी चलाया जा रहा है।

काशी तमिल संगमम में अपने वक्तव्य में देश के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने भी कहा कि मंदिर हमारी संस्कृति और इतिहास के संरक्षक हैं। वे ज्ञान के केंद्र एवं कला और शिल्प के प्रोत्साहक हैं। वैश्विक पुनर्संतुलन जितना राजनीति और अर्थशास्त्र में, उतना ही संस्कृति में व्यक्त किया जा रहा  है । वास्तव में एक लोकतांत्रिक और बहुलवादी विश्व व्यवस्था को विदेशों में भी भारतीय विरासत की पूर्ण अभिव्यक्ति उतनी ही दिखनी चाहिए जितनी देश में । मोदी सरकार की सांस्कृतिक कूटनीति पूरी दुनिया के फ़ायदे के लिए हमारी समृद्ध परंपराओं को बनाने, उनके पुनर्निर्माण और उन्हें पुनर्स्थापित करने पर केंद्रित है। यही वसुधैव कुटुम्बकम है।

हम विदेशों में भारतीय मंदिरों की बात करें, तो भारत में हिन्दू मंदिर होने के साथ-साथ विदेशों में भी कई ऐसे मंदिर हैं, जहां लोग रोजाना पूजा करने के लिए या दर्शन करने के लिए जाते हैं।दुनियाभर में मशहूर इन मंदिरों के दर्शन करने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं। आज हम आपको उन्हीं मंदिरों के बारे में बताने वाले हैं, जो भारत के अलावा दूसरे देशों में भी लोकप्रिय हैं।श्रीलंका में मुन्नेस्वर नाम का एक गांव है, जिसमें मुन्नेस्वरम मंदिर काफी लोकप्रिय है। ये मंदिर इतना बड़ा है कि इसके परिसर में आपको 5 और मंदिर देखने को मिल जाएंगे। इस मंदिर में मां काली और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित है।  

  अबूधाबी में मंदिर बनाने का ऐलान साल 2015 में किया गया था। उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे यूएई गए थे। प्रधानमंत्री ने 2018 में दुबई के दौरे पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था ने मंदिर की आधारशिला रखी थी। संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबूधाबी में बने पहले हिंदू मंदिर के पहले चरण का काम पूरा होने के बाद आम लोगों के लिए खोल दिया गया। खाड़ी देश में यह अपने तरह का पहला मंदिर है। जिसमें 16 देवी-देवताओं की मूर्ति लगाई गई  हैं। यूएई सरकार ने 20,000 वर्ग मीटर दान दी थी। 

अंकोरवाट मंदिर कंबोडिया में स्थित है, जहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। हिंदू मंदिर में ये दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। इस मंदिर की स्थापना 12वीं सदी में कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा द्वारा की गई थी। इस मंदिर की चौड़ाई 650 फुट और लंबाई ढाई मील है।मुरूगन मंदिर ऑस्ट्रेलिया की राजधानी सिडनी में मौजूद है। ये मंदिर पहाड़ों के देवता भगवान मुरूगन पर बनाया गया है।  मॉरीशस में बड़ी संख्या में हिंदू रहते हैं और यहां का लोकप्रिय शिव मंदिर पवित्र धार्मिक स्थल माना जाता है। इस मंदिर को साल 2007 में स्थापित किया गया था। इस मंदिर में भगवान शिव की 108 फीट ऊंची कांसे की प्रतिमा है।

इंडोनेशिया में वैसे तो कई हिंदू मंदिर मौजूद हैं, लेकिन वहां के सबसे लोकप्रिय मंदिर है, प्रम्बानन मंदिर। इस मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर को भी यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल का दर्जा दिया हुआ है। ये मंदिर न केवल इंडोनेशिया, बल्कि दक्षिण एशिया का भी बहुत बड़ा मंदिर है। नेपाल देश की राजधानी काठमांडू में पशुपतिनाथ मंदिर स्थित है। इस मंदिर को दुनिया के सबसे प्राचीन मंदिरों में गिना जाता है। यहां पशुपति के रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए हर साल यहां लोगों की भीड़ जमा रहती है। 

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