सहरसा। प्रसिद्ध ज्योतिषचार्य पंडित तरुण झा के अनुसार हिंदू धर्म में संक्रांति का बड़ा महत्व है।हर वर्ष 12 संक्रांतियां होती है।प्रत्येक संक्रांति का अपना महत्व होता है।किसी एक राशि से सूर्य के दूसरी राशि में गोचर करने को ही संक्रांति कहते हैं।जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उसे मकर संक्रांति कहते हैं।हिंदू धर्म में मकर संक्रांति पर्व बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है।इस दिन सूर्यदेव की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है।
ज्योतिषचार्य पंडित तरुण झा ने बतलाया है की 14 जनवरी को सूर्यदेव मकर राशि मे शाम 08.44 बजे प्रवेश करेंगे। इस कारण मकर सक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।मकर सक्रांति का पुण्य काल का मुहूर्त प्रातः 06.44 से संध्या 05.43 तक रहेगा।
“माघे मासे महादेव: यो दास्यति घृतकम्बलम।
स भुक्त्वा सकलान भोगान अन्ते मोक्षंप्राप्यति”॥
इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है।ऐसी धारणा है की इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।
मकर संक्रांति को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के दर्शन करने गए थे। इस मुलाकात में उन्होंने सारे मतभेदों को भुला दिया था। इसलिए कहा जाता है कि इस दिन सारे गिले-शिकवे भुला दिए जाते हैं। ज्योतिषीय रूप से संक्रांति के दौरान सूर्य ग्रह एक महीने के लिए शनि के घर (शनि द्वारा शासित मकर राशि) में प्रवेश करता है।
कपिल मुनि के आश्रम पर जिस दिन मातु गंगे का पदार्पण हुआ था। वह मकर संक्रांति का दिन था।पावन गंगा जल के स्पर्श मात्र से राजा भगीरथ के पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी।कपिल मुनि ने वरदान देते हुए कहा था ”मातु गंगे त्रिकाल तक जन-जन का पापहरण करेंगी और भक्तजनों की सात पीढ़ियों को मुक्ति एवं मोक्ष प्रदान करें।