हाईकोर्ट ने खारिज की अर्जी कहा “बुलेट ट्रेन “इस देश का ड्रीम प्रोजेक्ट”

जस्टिस आर डी धानुका और न्यायमूर्ति एम एम सथाये की खंडपीठ ने कहा कि परियोजना अपनी तरह की अनूठी परियोजना है। कोर्ट ने कहा कि इंटरफंडामेंटल राइट्स और इंट्रा फंडामेंटल राइट्स को लेकर विवाद के मामलों में कोर्ट को यह देखना होगा कि दो परस्पर विरोधी अधिकारों को संतुलित करते हुए व्यापक जनहित कहां है।

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार द्वारा शुरू की गई अधिग्रहण की कार्यवाही को चुनौती देने वाली गोदरेज एंड बॉयस कंपनी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन इस देश, राष्ट्रीय महत्व और जनहित का एक ड्रीम प्रोजेक्ट है।

जस्टिस आर डी धानुका और न्यायमूर्ति एम एम सथाये की खंडपीठ ने कहा कि परियोजना अपनी तरह की अनूठी परियोजना है। कोर्ट ने कहा कि इंटरफंडामेंटल राइट्स और इंट्रा फंडामेंटल राइट्स को लेकर विवाद के मामलों में कोर्ट को यह देखना होगा कि दो परस्पर विरोधी अधिकारों को संतुलित करते हुए व्यापक जनहित कहां है।

उन्होंने आगे कहा कि यह सर्वोपरि सामूहिक हित है जो अंततः प्रबल होगा। इस मामले के तथ्यों में, याचिकाकर्ता द्वारा दावा किया गया निजी हित सार्वजनिक हित पर हावी नहीं होता है, जो सार्वजनिक महत्व की बुनियादी ढांचागत परियोजना का समर्थन करेगा।

वहीं अदालत ने इस बारे में ये भी कहा कि “हमारे विचार में बुलेट ट्रेन परियोजना राष्ट्रीय महत्व की एक बुनियादी ढांचागत परियोजना है, जिससे बड़ी संख्या में जनता लाभान्वित होगी और इस देश की बेहतरी के लिए अन्य लाभों को बचाया जा सकेगा।“