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कंज्यूमर वॉयस की रिपोर्ट में है पूरा जिक्र, भारत में कितनी है प्रति व्यक्ति शराब की खपत

कंज्यूमर वॉयस ने भारत में प्रति व्यक्ति शराब की खपत को कम करने के लिए रिपोर्ट जारी की

नई दिल्ली, 09 फरवरी,2023 : कंज्यूमर वॉयस, एक उपभोक्ता अधिकार स्वैच्छिक संगठन है। इसने आज एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत में प्रति व्यक्ति शराब की खपत को कम करने के लिए सरकार को कई सिफारिशें दी गई है। कंज्यूमर वॉयस द्वारा कमीशन और सार्वजनिक नीति व संचार फर्म गेटवे कंसल्टिंग द्वारा लिखित यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब भारत में शराब की गैर-जिम्मेदाराना खपत प्रमुख चिंता का विषय बन चुकी है। रिपोर्ट की सिफारिशों में उच्च मादक पेय पदार्थों की खपत को कम करने के उद्देश्य से नीतिगत उपाय शामिल हैं। साथ ही इस रिपोर्ट की यह मंशा भी है कि व्यक्तिगत स्तर पर सेवन को विनियमित करने के लिए उपभोक्ता में जागरूकता पैदा किया जाए।

साल 2005 और 2016 के बीच भारत में शुद्ध शराब की प्रति व्यक्ति खपत 2.4 लीटर से लगभग दोगुनी होकर 5.7 लीटर हो गई है। इस खपत का अधिकांश हिस्सा अल्कोहल की मात्रा के हिसाब से उच्च मात्रा वाले पेय पदार्थों या व्हिस्की, वोदका, रम, जिन, आईएमएफएल और देशी शराब जैसे हार्ड शराब से था। बीयर और वाइन जैसे कम मादक पेय पदार्थों की खपत की तुलना में आईएमएफएल और देशी शराब को सबसे अधिक पसंद किया गया। साल 2017 तक भारत में हार्ड शराब की हिस्सेदारी 84 प्रतिशत थी।

कंज्यूमर वॉयस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री अशीम सान्याल ने कहा, “भारत में शराब की खपत में 15-30 आयु वर्ग में सबसे अधिक वृद्धि देखी जा रही है, हम शराब की प्रति व्यक्ति खपत और इसके परिणामों के बारे में चिंतित हैं। भारत में खपत को कम करने के लिए केंद्रीय स्तर की नीति नहीं है और यह उन कुछ देशों में से है जिनके पास सुरक्षित खपत पर दिशानिर्देश नहीं हैं। राज्य सरकारें मादक पेय उद्योग को दुधारू गाय के रूप में देखती हैं और शराब नियंत्रण का जनादेश वर्तमान में राज्य के आबकारी विभागों द्वारा नियंत्रित किया जाता है। इसलिए, सरकार को इस मुद्दे को पहचानने और स्वास्थ्य विभागों को खपत को कम करने के लिए शामिल करने की तत्काल आवश्यकता है।

गेटवे कंसल्टिंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री तुषार गांधी ने कहा , ’’रिपोर्ट भारत में शुद्ध शराब की बढ़ती प्रति व्यक्ति खपत पर प्रकाश डालती है। साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि उच्च मादक पेय सबसे सस्ते में उपलब्ध हैं और सबसे अधिक खपत किए जाते हैं। दूसरी ओर, विश्व स्तर पर उपभोक्ता कम अल्कोहल वाले पेय पदार्थों की ओर बढ़ रहे हैं। विभिन्न पेय पदार्थों में अल्कोहल की मात्रा की वास्तविक मात्रा के बारे में उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता की सामान्य कमी है और मध्यम सेवन के लिए एक सामान्य संदर्भ बिंदु की कमी है। इसलिए, हमने नीतिगत उपाय प्रदान किए हैं और व्यक्तिगत स्तर पर सेवन को विनियमित करने के लिए उपभोक्ता जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता पर बल दिया है।

बीयर से केवल 1.1 लीटर शुद्ध अल्कोहल की तुलना में भारत में हार्ड शराब की प्रति व्यक्ति औसत खपत 13.5 लीटर शुद्ध शराब के साथ दुनिया में सबसे अधिक थी। आमतौर पर अधिक शराब पीने वाले कम मादक पेय पदार्थों के बजाय उच्च मादक पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। पीने के पैटर्न से यह संकेत मिलता है कि लोग ’नशे में आने’ के लिए पीते हैं। हैवी एपिसोडिक ड्रिंकिंग, जिसे पिछले 30 दिनों में कम से कम एक बार 60 ग्राम या उससे अधिक शुद्ध शराब की खपत के रूप में परिभाषित किया गया है, कुल 164 देशों में गिरावट आई है और नौ देशों में अपरिवर्तित रही है। हालांकि, भारत दुनिया भर के उन कुछ देशों में से था जहां भारी मात्रा में शराब पीने में वृद्धि हुई थी।

इस पृष्ठभूमि के साथ, यह अनिवार्य है कि सरकार शराब नीतियां बनाते समय उच्च स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक देखभाल लागतों को शामिल करने के लिए व्यापक सामाजिक पहलुओं पर विचार करे। रिपोर्ट का उद्देश्य नीतिगत उपायों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से शराब की खपत को कम करने के उद्देश्य से बहस शुरू करना और हितधारकों को शामिल करना है।

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