Home शिक्षा अनुसूचित जनजाति की अध्यापिका का ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020’ के लिए चयन

अनुसूचित जनजाति की अध्यापिका का ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020’ के लिए चयन

इस वर्ष, प्रथम बार, ईएमआरएस-कलसी, देहरादून, उत्तराखंड की उप-प्रधानाचार्या (वाइस प्रिंसिपल) सुधा पेनुली को, ‘राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020’ से सम्मानित किया जाना जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत अपनी स्थापना के बाद से, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के लिए विशेष गौरव की बात है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय (पूर्ववर्ती मानव संसाधन विकास मंत्रालय), स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार (एनएटी) प्रदान को करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक स्वतंत्र निर्णायक मंडल का गठन किया था। सुधा पेनुली को कठोर तीन चरणीय ऑनलाइन पारदर्शी प्रक्रिया के बाद 47 उत्कृष्ट शिक्षकों सूची में शामिल किया गया।

एकलव्य जन्म-दिवस बगिया (बर्थडे गार्डन), शिक्षा में ना्टय मंच, एकलव्य जनजातीय संग्रहालय(ट्राइबल म्यूजियम), कौशल विकास कार्यशालाएं और इसी तरह की पहलें, उनके अभियान के अभिनव प्रयोगों की सबसे अनूठी विशेषताएं हैं। आदिवासी छात्रों के शैक्षणिक विकास और सर्वांगीण विकास के बीच एक अच्छा संतुलन बनाते हुए जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रयासों को सही दिशा में ले जाना, उनकी सतत उपलब्धि है।

सुधा पेनुली को माननीय मंत्री, जनजातीय कार्य, अर्जुन मुंडा जी द्वारा बधाई दी गई थी। उन्होंने कहा, “वास्तव में, यह ईएमआरएस के लिए एक विशेष उपलब्धि है।सुधा पेनुली को एकलव्य के इतिहास में, पहली बार, राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है।”जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने की दिशा में उनकी यह उपलब्धि, सरकार के प्रयासों का एक प्रमाण है। शिक्षा के क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता लाने के लिए उनकी यह उपलब्धि, समस्त ईएमआरएस शिक्षक बिरादरी को प्रेरित करेगी।

ईएमआरएस की शुरुआत दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातीय बच्चों को गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से, वर्ष 1997-98 में की गई थी ताकि वे उच्च और व्यावसायिक शैक्षिक पाठ्यक्रमों में अवसरों का लाभ उठा सकें और विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त कर सकें।

‘जनगणना-2011’के अनुसार, समूचे देश में, 564 ऐसे उप-जिले हैं, जिनमें से 102 उप-जिलों में ईएमआरएस है। इनके विस्तार की सतत-यात्रा में, वर्ष 2022 तक 462 नए स्कूल खोले जाएंगे।

वर्ष 2018 की संशोधित ईएमआरएस स्कीम के तहत, वर्ष 2022 तक 50% से अधिक अनुसूचित जनजाति (एसटी) आबादी और कम से कम 20,000 जनजातीय व्यक्तियों वाले प्रत्येक ब्लॉक में, एक एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) होगा। ये विद्यालय नवोदय विद्यालयों के समान होंगे और इनमें खेलों और कौशल विकास में प्रशिक्षण के अतिरिक्त स्थानीय कला और संस्कृति के संरक्षण की विशेष सुविधाएं होंगी।

यदि, एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय जनजातीय छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने की अपनी यह यात्रा इसी प्रकार जारी रखते हैं, तो आने वाले समय में ऐसी कई और उपलब्धियां, इस शैक्षिक अभियान को सार्थक बनाएंगी।

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