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तृणमूल को कांग्रेस पर भरोसा नहीं, वाकई विपक्ष की धुरी बन रही है कांग्रेस

जरूर नहीं कि हर बार गैर भाजपा दलों की अगुवाई कांग्रेस की करें। बिहार से लालू यादव ने भले ही सोनिया गांधी से बात की हो, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्ती ने अपने तेवर तल्ख दिखाए हैं।

नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विपक्ष को एकजुट होना पड़ेगा। अगले साल कई राज्यों में चुनाव होने हैं। अभी कुछ स्थानों पर उपचुनाव हो रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लगातार पार्टी के अंदर और बाहर नेताओं से संपर्क कर रही है। बिहार की राजनीति के अहम चेहरा राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के चुनावी मंचों पर आने के बाद सोनिया गांधी के साथ भी उनकी बात हुई। नए राजनीतिक समीकरण की बात कही गई। लेकिन, पश्चिम बंगाल की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस को मानो कांग्रेस पर भरोसा नहीं है।
तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से संकेत दिए गए हैं कि विपक्षी की धुरी कांग्रेस ही नहीं है। कई दूसरे दल और उनके नेता देश के कई गैर-भाजपा दलों को एक मंच पर ला सकते हैं। इस संकेत के बाद गैर-भाजपा दलों की राजनीति को नए तरीके से समझने की बात हो रही है।
असल में, जागो बांग्ला के संपादकीय पृष्ठ पर ‘तृणमूल अपनी शक्ति बढ़ाएगी’ शीर्षक के साथ छपे संपादकीय में पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनके भतीजे व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में पार्टी कांग्रेस के भरोसे ना रहकर भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकजुटता के साथ अपनी ताकत बढ़ाने का सिलसिला जारी रखेगी। संपादकीय में लिखा गया है कि तृणमूल ममता बनर्जी के नेतृत्व में और अभिषेक बनर्जी की अगुवाई में अपनी शक्ति बढ़ाती रहेगी और फिर जब विपक्षी गठबंधन के साथ कोई कारगर कदम उठाने की बारी आएगी तो तृणमूल देश हित में फैसला लेगी। गठबंधन का दरवाजा खुला है। भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को एक साथ लाने के अपने प्रयासों के तहत उनकी पार्टी कांग्रेस का अनिश्चितकाल के लिए इंतजार नहीं कर सकती।
बता दें कि देश की बड़ी राजनीति को हिंदी भाषी प्रदेश प्रभावित करते हैं। दिल्ली के बाद उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों की राजनीति बेहद अहम मानी जाती है। दो दिन पहले जैसे ही लालू प्रसाद ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से बात की, इसको लेकर कई प्रकार की सियासी संभावनाओं पर बात होने लगी। इससे पहले भी जेल से बाहर आते ही लालू प्रसाद ने कई नेताओं से मुलाकात की है। हालांकि, सार्वजनिक मंचों पर इन मुलाकातों को लेकर विस्तृत ब्यौरा नहीं दिया गया है।

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