दो भारतीय स्टूडेंट इनोवेटर्स को जेम्स डायसन अवार्ड 2022 का राष्ट्रीय विजेता घोषित किया गया

पुरस्कार राशि की मदद से राष्ट्रीय विजेताओं का उद्देश्य कमर्शियलाईज़ेशन के लिए एपिशॉट में संशोधन करना है। इस कदम से एपिशॉट के निर्माण की क्षमता, विश्वसनीयता, और पोर्टेबिलिटी बढ़ेगी, और डिवाईस की कीमत में कमी आएगी।

नई दिल्ली। बैंगलोर स्थित दो इंजीनियरिंग विद्यार्थियों, अर्जुन बीएस और अजय कृष्णन ए को अपने अद्वितीय इनोवेशन एपिशॉट के लिए प्रतिष्ठित जेम्स डायसन अवार्ड 2022 का ‘राष्ट्रीय विजेता’ घोषित किया गया है। एपिशॉट एलर्जन के संपर्क में आने पर अचानक उत्पन्न होने वाली गंभीर और संभावित जानलेवा सिस्टेमिक एलर्जिक रिएक्शन से पीड़ित मरीजों के लिए एक रियूज़ेबल एपाईनफ्राईन ऑटोइंजेक्टर है। जेम्स डायसन अवार्ड 28 देशों के विद्यार्थियों को ऐसा कुछ डिज़ाईन करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे किसी समस्या का समाधान हो। विजेता जेम्स डायसन प्रविष्टि में सरल एवं बुद्धिमान इंजीनियरिंग के सिद्धांत होते हैं, जो किसी समस्या का समाधान करते हैं।

भारत में इस लेटेस्ट संस्करण में अनेक युवा और प्रतिभाशाली इंजीनियर्स ने अपनी अभिनव प्रविष्टियां प्रस्तुत कीं, जिनमें वास्तविक जीवन की किसी समस्या का समाधान करने का प्रयास किया गया। राष्ट्रीय विजेता, अर्जुन बीएस और अजय कृष्णन ए को लगभग 4.6 लाख रु. (5,000 पाउंड) की पुरस्कार राशि मिलेगी, और वो अंतर्राष्ट्रीय राउंड में भारत का प्रतिनिधित्व भी करेंगे, जहाँ सर जेम्स डायसन अंतिम विजेताओं का चयन करेंगे, और उन प्रतिभाशाली इनोवेटर्स को अत्याधुनिक कॉन्सेप्ट प्रस्तुत करने के लिए जीवन का अनमोल मौका प्रदान करेंगे।

अर्जुन ने कहा, ‘‘भारतीय आबादी में आमतौर से एलर्जी पाई जाती है, लेकिन इस बात में कोई यकीन नहीं करता कि एक सरल की एलर्जिक रिएक्शन के लिए यदि तत्काल इलाज न दिया जाए, तो वह जानलेवा हो सकती है। भारत में अभी तक एनाफिलैक्सिस के लिए कोई तत्कालिक समाधान उपलब्ध नहीं, जो मुख्यतः 20 से 40 साल के आयुवर्ग में पाया जाता है। बाजार में मौजूदा एकाधिकार, सिंगल-यूज़ ऑटोइंजेक्टर्स की महंगी कीमत, और स्वयं इस्तेमाल के लिए सुरक्षा के जोखिम के कारण सुरक्षित और किफायती समाधानों की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। एपिशॉट का उद्देश्य इस कमी को पूरा करना है। इस अत्यधिक जरूरी डिवाईस का विकास करने की चुनौती हमें एक पीडियाट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ. परमेश एच ने दी, जिन्होंने आपातकालीन रिस्पॉन्स मेडिकेशन के रूप में एपाईनफ्राईन को लोकप्रिय बनाने के लिए दशकों तक मेहनत की है। हमारा मानना है कि जेम्स डायसन अवार्ड हमारे जीवनरक्षक इनोवेशन को पहचान दिलाने, इसके बारे में जानकारी बढ़ाने और बड़े स्तर पर इसे अमली जामा पहनाने में एक आधार का काम करेगा।’’

अजय ने कहा, ‘‘एपिशॉट के डिज़ाईन में अनेक बार संशोधन किए गए, कुछ संशोधनों के साथ प्रोटोटाईप तैयार किए गए। एक्सीडेंटल इंजेक्शन रोकने के लिए सरल सिंगल-हैंड-ऑपरेटेड ऑटोइंजेक्टर में सेफ्टी कैप जोड़ने से लेकर डिज़ाईन में एक ऑटोमैटिक नीडल रिट्रैक्शन मैकेनिज़्म और शरीर के फ्लुड का एक्सपोज़र रोकने के लिए सिरिंज कार्टिªज़ को रिडिज़ाईन करने तक बेसलाईन डिज़ाईन में अनेक एडिशन किए गए। पूर्ण सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करने के लिए टिश्यू फैंटम पर सैकड़ों टेस्ट किए गए।’’

एपिशॉट जेम्स डायसन अवार्ड 2022 के अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहुँचेगा। अर्जुन बी एस और अजय कृष्णन ए का उद्देश्य स्टार्टअप के रूप में इस उत्पाद को कमर्शियलाईज़ करना है। बौद्धिक संपदा की सुरक्षा पेटेंट आवेदनों द्वारा की जा चुकी है। यह टीम एलर्जिक एवं अन्य ड्रग डिलीवरी एप्लीकेशंस में इस टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल के लिए फार्मास्युटिकल पार्टनर तलाश रही है। यह टीम इंट्राडर्मल (डर्मिशॉट), सबक्यूटेनियस, और इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन के साथ कंपैटिबल इसी तरह की टेक्नॉलॉजी का विकास भी कर रही है। अर्जुन (पीएचडी स्कॉलर) और अजय (प्रोजेक्ट असिस्टैंट) डिपार्टमेंट ऑफ इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग सिस्टम्स इंजीनियरिंग, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साईंस, बैंगलोर में प्रोफेसर हार्दिक जे. पंड्या के नेतृत्व में बायोमेडिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग सिस्टम्स लैबोरेटरी लैबोरेटरी (बीस लैब) में काम करते हैं। यह लैब साईंस एवं इंजीनियरिंग में शोध के द्वारा क्लिनिकल चुनौतियों का समाधान तलाशने के लिए अभिनव टेक्नॉलॉजिकल समाधानों के विकास पर केंद्रित है।