यदि यह कहा जाए कि उत्तर प्रदेश में हर राजनीतिक दल अपने चुनावी मोड में आ चुका है, तो अब गलत नहीं होगा। सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियां करवा रही है। अरबों रूपये की योजनाओं को उत्तर प्रदेश की धरती से ही घोषणा करवाई जा रही है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लगातार राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमलावर हैं और राज्य में महिला वोट बैंक को साधने की हर संभव जुगत कर रही है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी अपनी परंपरागत जातिगत वोट बैंक और क्षेत्रीय अस्मिता को साधने में लगी है।
जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार राज्य का दौरा कर रहे हैं। राज्य से बाहर राजधानी दिल्ली में भी अपने कार्यों का विज्ञापन के माध्यम से ब्यौरा दे रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि वे केंद्रीय नेतृत्व को यह आश्वस्ती देना चाहते हैं कि उत्तर प्रदेश में वहीं चेहरा हैं और रहेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई योजनाओं की शुरुआत उत्तर प्रदेश जाकर कर रहे हैं। अरबों रूपये का केंद्रीय कोष केवल उत्तर प्रदेश के लिए खोल दिया गया है। कई सर्वे में अभी से भाजपा की सरकार बनने की बात की जा रही है। हलांकि, सर्वे में किसान आंदोलन , जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति को बेहद प्रभावित करती है, उसका जिक्र न के बराबर है। उसके बाद चर्चा आम है कि योगी सरकार से राज्य के कई जाति विशेष नाराज हैं। बेलगाम अफसरशाही की बात समय-समय पर आती है।
कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेस लगातार योगी सरकार पर हमलवार है। चाहे उन्नाव का रेप कांड हो या लखीमपुर खीरी का मसला, कानून व्यवस्था की चर्चा राज्य के बाहर भी होती रही है। बसपा ने सत्तापोषित सर्वे की बात कही है। तभी तो उसने केंद्रीय चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाया है कि चुनाव पूर्व ओपिनियन पोल पर रोक लगाई जाए।
हम विपक्षी दल कांग्रेस की बात करें, तो पूरी चुनाव की कमान पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी के कंधे पर है। उनकी सहायता के लिए और चुनावी रणनीति को धार देने के लिए छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को कांग्रेस हाईकमान ने कहा है। जमीनी हकीकत और माहौल को पार्टी के पक्ष में करने में भूपेश बघेल को महारथ हासिल होने की बात कही जाती है। राज्य में 40 प्रतिशत महिलाओं को विधानसभा का टिकट देने की घोषणा करके कांग्रेस ने उस समुदाय विशेष में एक तरह से बढ़त ले ली है।